पूर्व विधायक डीआर पाटिल ने कहा
एनएसएस अधिकारियों के लिए 5 दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन
हुब्बल्ली. श्री सिद्धार्थ स्वामी ट्रस्ट समिति (उच्च सदन) के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डीआर पाटिल ने कहा कि हाई स्कूल और कॉलेज व्यक्तित्व को आकार देने के मंच हैं। हमें सौंपी गई जिम्मेदारी को हमें ईमानदारी से निभाना चाहिए। विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं सभी को नैतिक मूल्यों का विकास करना चाहिए।
वे कर्नाटक राज्य विधि विश्वविद्यालय के सभागार में राज्य एनएसएस प्रकोष्ठ, युवा सशक्तिकरण एवं खेल विभाग, राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ और कर्नाटक राज्य विधि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को आयोजित एनएसएस अधिकारियों के लिए पांच दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन कर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमें नि:स्वार्थ जीवन जीने का अभ्यास करना चाहिए। आज गांवों में भी संयुक्त परिवारों का चलन कम हो गया है। मूल्य शिक्षा पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है। अवसर आने पर उनका लाभ उठाना चाहिए। निरंतर मूल्यवान शिक्षा प्रदान करना आवश्यक है। व्यक्तित्व विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। एनएसएस गीत जीवन में परिवर्तन लाता है। गांधीजी और स्वामी विवेकानंद के कई विचार हमारे लिए मार्गदर्शक बन गए हैं। यह निर्णय स्वयंसेवकों पर छोड़ दें कि उन्होंने जिन गांवों को चुना है उनका विकास कैसे किया जाए। ईश्वर सभी के हृदय में है। मानसिक परिवर्तन में हम बदल गए हैं। सही, गलत का पता होने पर भी हम गलतियां करते हैं। गलतियों की संख्या कम होनी चाहिए। कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए।
पाटिल ने कहा कि शिक्षक जिम्मेदारी के पद पर हैं और उन्हें विद्यार्थियों में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। समाज को बेहतर बनाने के लिए काम होना चाहिए। पाठ के साथ-साथ हमें ऐसा साहित्य भी शामिल करना चाहिए जो हमारे व्यवहार और वाणी को बेहतर बनाए। इस संबंध में कदम उठाने की जरूरत है। हमें ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है जहां रिश्ते बढ़ सकें। इन्द्रियां अपना कर्तव्य ठीक से निभाती हैं। उसी तरह हमें भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन सुचारु रूप से करना चाहिए। हमें जहां हम चूक गए हैं उन स्थितियों को सुधारने की जरूरत है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक प्रो. वेंकप्पय्या आर. देसाई ने कहा कि वे करीब 50 वर्षों से एनएसएस से जुड़े हैं। वे आईआईटी खडग़पुर में एनएसएस से भी जुडे थे। शिक्षकों को प्रेरक होना चाहिए। हमें जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए। अच्छा जीवन जीना चाहिए।
युवा सशक्तिकरण एवं खेल विभाग के राज्य एनएसएस प्रकोष्ठ के राज्य एनएसएस अधिकारी प्रताप लिंगय्या ने कहा कि बेंगलूरु और मैसूर जिलों में पहले ही प्रशिक्षण का आयोजन किया जा चुका है। 350 से अधिक एनएसएस अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। जब एनएसएस की स्थापना हुई थी तब इसमें 40,000 स्वयंसेवक थे। कर्नाटक राज्य में लगभग 6.5 लाख स्वयंसेवक हैं। 60 प्रतिशत लोग नए कार्यक्रम अधिकारी होंगे। उन्हें प्रशिक्षित करना बहुत आवश्यक था। इसी परिप्रेक्ष्य में मंगलवार से पांच दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों के लिए प्रशिक्षुओं पर विचार करने का दबाव है।
प्रो. जीबी शिवराजु ने विचार व्यक्त किया।
कर्नाटक राज्य विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) सी. बसवराजु की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में गांधीजी पर आधारित पुस्तकों का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम में सिंडीकेट सदस्य एसएन. परांडे, कर्नाटक राज्य विधि विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार अनुराधा वस्त्रद, मूल्यांकन रजिस्ट्रार डॉ. रत्ना भरमगौड़ा, केएसएलयू लॉ स्कूल के सहायक प्राध्यापक आईबी बिरादार, प्रशांत एड्रामिमठ सहित प्राध्यापक, छात्र और अन्य उपस्थित थे।
ऐश्वर्या भट ने कार्यक्रम का संचालन किया। सिंचना ने अतिथियों का परिचय कराया। आदवी ने आभार व्यक्त किया।