योग गुरु भवरलाल आर्य ने कहा
योग शिक्षक प्रशिक्षण शिविर
बेलगावी. पतंजलि योग समिति, बेलगावी की ओर से रविवार को शहर के इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स शाखा के सभागार में पतंजलि योग पीठ कर्नाटक राज्य प्रभारी, अंतरराष्ट्रीय योग गुरु भवरलाल आर्य के मार्गदर्शन में पतंजलि योग शिक्षक प्रशिक्षण शिविर का समापन हुआ।
शिविरार्थियों को योग मार्गदर्शन एवं प्रमाण पत्र वितरित करने के बाद भवरलाल आर्य ने कहा कि सभी को प्रतिदिन योग करना चाहिए। योग का अभ्यास करके हम अपने स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं। अगर हम सही शिक्षकों के माध्यम से योग को गहराई से सीखें और योग शिक्षक बनें, अपने आस-पास के लोगों को योग का प्रशिक्षण दें, तो हम एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं। यह कहा जा सकता है कि सच्ची राष्ट्रीय सेवा स्वस्थ और रोगमुक्त रहना है। हर परिवार में एक योग शिक्षक होना चाहिए। तब पूरा परिवार, हर घर स्वस्थ रहेगा। यदि घर का प्रत्येक सदस्य स्वस्थ जीवनशैली अपनाए तो पूरा समाज स्वस्थ रहेगा। इस दिशा में पतंजलि योग समिति, बेलगावी पिछले एक महीने से सैकड़ों योग साधकों को योग शिक्षक के रूप में प्रशिक्षित कर उन्हें उत्तम योग शिक्षक बना रही है।
उन्होंने कहा कि जिन्होंने यह प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, वे सभी अब योग शिक्षक हैं। आप अपने घर, आस-पास के स्कूल, कॉलेज, सामुदायिक केंद्र, पार्क, मंदिर, अस्पताल आदि सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को योग सिखाकर उनके स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं। योग का अभ्यास केवल हिमालय में रहने वाले साधु-संतों, साधु-संन्यासियों की ओर से ही नहीं किया जाता। योग का अभ्यास कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या पंथ का हो, अमीर हो या गरीब हो, और कोई भी व्यक्ति जो स्वास्थ्य चाहता हो। इसलिए योग में कोई भेदभाव नहीं है। हम सभी क्षेत्रों के लोगों को योग सिखा सकते हैं। इसलिए, योग शिक्षकों को न केवल स्वयं योग का अभ्यास करना चाहिए, बल्कि दूसरों को भी योग सिखाना चाहिए, जैसा कि हाल के दिनों में अमरीका और ब्रिटेन ने घरेलू नीति अपनाई है।
आर्य ने कहा कि इसी तरह, हम भारतीयों को भी हर दिन अपने देश में बने उत्पादों का उपयोग करना चाहिए और इसके माध्यम से एक स्वस्थ, समृद्ध और मजबूत भारत का निर्माण करना चाहिए।
पतंजलि योग समिति उत्तर कर्नाटक की राज्य प्रभारी किरण मन्नोलकर ने कहा कि योग शिक्षक बनने के लिए रुचि ही एकमात्र योग्यता है। योग, प्राणायाम और ध्यान की जो क्रियाएं हमने सीखी हैं, उन्हें दूसरों को भी सिखाना चाहिए। जैसे-जैसे हम सीखते और सिखाते हैं, हम पूर्ण योग शिक्षक बन सकते हैं। योग की कोई सीमा नहीं है, हमारा पूरा जीवन योग सीखने के लिए है। इसलिए, कल से ही हम अपने आस-पास के लोगों, अपने परिवार और अपने बच्चों को योग सिखाएं। हमने अपने गुरुओं से जो सीखा है, उसका उपयोग चार सौ लोगों को लाभान्वित करने के लिए करना चाहिए। हमें योग के ज्ञान को घर-घर पहुंचाना चाहिए।
पतंजलि किसान सेवा समिति, कर्नाटक के राज्य प्रभारी संजय कुस्तीगर ने कहा कि योग हमारे जीवन का अभिन्न अंग बनना चाहिए। हमें प्रतिदिन योग का अभ्यास करना चाहिए और जैविक खेती तथा विष-मुक्त खेती के प्रति जुनून विकसित करना चाहिए। यदि हम किसान हैं, तो हमें अपनी खेती में जैविक खेती के तरीकों को अपनाना चाहिए और प्राकृतिक स्वस्थ भोजन का उपभोग कर उसे समाज को देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यदि हम किसान नहीं हैं, तो हमें अपने घरों के आस-पास खाली जगहों पर जैविक खेती करनी चाहिए, छत पर बगीचे जैसी अवधारणाओं का उपयोग करना चाहिए और जैविक रूप से स्वस्थ भोजन प्राप्त कर उसका उपयोग करना चाहिए। हमें योग तथा प्राकृतिक स्वस्थ सब्जियों और फलों के सेवन के माध्यम से पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त करना चाहिए। साथ ही, हमें दूसरों के बीच योग और जैविक खेती के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए तथा एक स्वस्थ, और सुरक्षित समाज का निर्माण करना चाहिए।
सौ से अधिक योग साधकों ने विशेषज्ञ योग शिक्षकों से एक महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा अपने अनुभव, स्वास्थ्य लाभ आदि साझा किए। बाद में, गणमान्य व्यक्तियों ने सभी को हरिद्वार स्थित योग शिक्षक प्रशिक्षण शिविर, पतंजलि योग पीठ की ओर से प्रमाण पत्र वितरित किया।
इस अवसर पर पतंजलि योग समिति बेलगावी जिला प्रभारी मोहन बागेवाड़ी, जिला समिति सदस्य ज्योतिबा भडवणकर, चंद्रकांत खंडगे, पटेल, रमेश मटालक, संगीता कोनापुरे, रूपा कोठारी, अंजना हलकर्णी, विनायक मन्नोलकर, विद्या अनंत जोशी, श्रीदेवी, चैतन्य, चिक्कोडी जिला समन्वयक बालकृष्ण कोलेकर, गोकाक तालुक प्रभारी यल्लप्पा कुरुबगट्टी, बैलहोंगल के गुरु, खानापुर के देसाई तथा सैकड़ों शिविरार्थी उपस्थित थे।