त्रिशंकु स्थिति में पुनर्वासित देवदासियां
हुब्बल्ली. वर्ष 2007-08 में पुनर्वासित देवदासियों के सर्वेक्षण के बाद अब तक कोई और सर्वेक्षण नहीं किया गया है। परिणामस्वरूप, उस अवधि के दौरान सर्वेक्षण से बाहर रह गयीं पुनर्वासित देवदासियों को सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
राज्य सरकार ने पुनर्वासित की जा रही देवदासियों का सर्वेक्षण कराने का वादा किया है, परन्तु अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कर्नाटक राज्य महिला विकास निगम में इस वर्ग को विश्वास में लिए बिना ही निर्णय लिए जा रहे हैं। इसके चलते क्या कोई सर्वेक्षण होगा? यदि ऐसा हुआ भी तो क्या यह पर्याप्त होगा? इस बारे में पुनर्वासित देवदासियां संदेह व्यक्त कर रही हैं।
हमारे अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं
कर्नाटक राज्य देवदासी मुक्ति संगठन की महासचिव बी. माळम्मा ने कहा कि निगम ने पुनर्वासित की जा रही देवदासियों के नेताओं को सर्वेक्षण के बारे में उचित जानकारी नहीं दी है। यह घोषणा नहीं की गई है कि सर्वेक्षण कब आयोजित किया जाएगा। पता चला है कि कर्मचारी को कार्यालय में को बिठाकर सर्वे कराने की योजना बनाई गई है। यदि ऐसा होगा तो पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं होगी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से सर्वेक्षण कराने के हमारे अनुरोध पर वे कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं।
35,000 लोग सर्वेक्षण से बाहर
उन्होंने समस्या का खुलासा करते हुए कहा कि वर्ष 2007-08 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में 46,000 पुनर्वासित देवदासियां थीं परन्तु तब सर्वेक्षण में केवल 35 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को शामिल किया गया था, इसलिए अनुमानत: 35,000 लोग सर्वेक्षण से बाहर रह गए हैं। निगम से प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण सरकारी लाभ के लिए उन पर विचार नहीं किया जा रहा है।
पेंशन को बढ़ाकर 3,000 रुपए नहीं किया
माळम्मा ने आरोप लगाया कि निगम को कार्यालय और कंप्यूटर उपकरण उचित रूप से उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। कर्मचारियों की कमी है। आउटसोर्स कर्मचारियों को उचित वेतन नहीं दिया जा रहा है। इसके चलते प्रभावी ढंग से काम नहीं हो रहा है। 2,000 रुपए की पेंशन को बढ़ाकर 3,000 रुपए नहीं किया गया है। सरकार ने पुनर्वासित देवदासियों को आत्मनिर्भर जीवन जीने के लिए भूमि उपलब्ध कराने की मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
सरकारी लाभ विभागों के बीच विभाजित
उन्होंने कहा कि स्वरोजगार के लिए दी जाने वाली 30,000 रुपए की राशि पर्याप्त नहीं है। अधिकारियों ने इस राशि को बढ़ाकर एक लाख रुपए करने का वादा किया था परन्तु इस संबंध में सरकार ने कोई आदेश जारी नहीं किया है। इस वर्ग को प्रदान किए जाने वाले सरकारी लाभ विभागों के बीच विभाजित किए गए हैं। अशिक्षित पुनर्वासित देवदासियों को कोई भी सुविधा पाने के लिए बिचौलियों को अधिक पैसे देने की स्थिति बनी हुई है।