
कांग्रेस-भाजपा में मुकाबला
उडुपी. कृष्ण की नगरी में जीत के लिए कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। पिछले चुनाव में पांच विधानसभा क्षेत्र जीतने वाली भाजपा के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा बना हुआ है, तो वहीं कांग्रेस को वापसी कर अपनी ताकत साबित करने की अनिवार्यता है।
जिले में दबदबा रखने वाली कांग्रेस महत्वपूर्ण नेताओं के बिना दम तोड़ रही है, जो भाजपा के लिए प्लस है। ऑस्कर फर्नांडिस का निधन, पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली का स्थानीय राजनीति से दूरी, प्रमुख नेताओं का दलबदल कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है परन्तु प्रचार में पीछे नहीं पड़ा है। फिर से जीत की आस लगाई भाजपा ने न केवल पांच मौजूदा विधायकों में से चार को बदला है, बल्कि नए को मैदान में उतारा है, और जोर-शोर से प्रचार भी कर रही है। उम्मीदवार बदलने की शुरुआत में जो असंतोष दिखाई दिया था उसे भी अच्छे तरीके से हैंडल किया गया है।
वर्तमान मंत्री सुनील कुमार के प्रतिनिधित्व वाला कारकल क्षेत्र ने जिले में हॉट सीट बन गई है। मुख्यमंत्री को देने वाला यह निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ है, सुनील कुमार ने ही सबसे पहले 2004 में इसे तोडकऱ भाजपा को सत्ता में लाया था। 2008 में वे फिर से हार गए, परन्तु बाद में वे लगातार दो बार जीत चुके हैं और विकास के साथ कार्यकर्ताओं के पक्ष को बनाए रखा है। उनके खिलाफ कांग्रेस ने उदयकुमार शेट्टी मुनियालु को मैदान में उतारा है। पूर्व विधायक गोपाल भंडारी के निधन के बाद पार्टी को ऑक्सीजन देने वाले मंजुनाथ पुजारी को टिकट नहीं मिलने से खफा हैं और वीरप्पा मोइली ने भी संवाददाता सम्मेलन के अलावा निर्वाचन क्षेत्र में नजर नहीं आए।
श्रीराम सेना के प्रमोद मुतालिक इस बार भाजपा के वोटबैंक पर हाथ रखने जा रहे हैं। उनके चुनौती देने के कोई संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं। बाकी सभी, जेडीएस, आप और प्रजाकीय उम्मीदवार मैदान में होने के बाद भी रिकॉर्ड के लिए मात्र सीमित हैं।
उडुपी का मालिक कौन है?
भाजपा ने उडुपी सीट से तीन बार के विधायक के. रघुपति भट्ट की जगह मोगवीर समुदाय के यशपाल सुवर्णा को टिकट दिया है। कांग्रेस की ओर से भी इसी समुदाय के प्रसादराज कंचन मैदान में हैं। मछुआरा संगठनों में सबसे आगे स्थित यशपाल ने हिजाब विवाद के दौरान हिंदुत्ववादी स्टैंड लेने के साथ ध्यान आकर्षित किया था। रघुपति भट्ट शुरू में टिकट नहीं मिलने से नाराज थे, परन्तु अब उम्मीदवार के प्रचार में व्यस्त हैं। कांग्रेस के प्रसाद राज व्यवसायी हैं और राजनीति में नए हैं। उनकी व्यावसायिक समीकरण राजनीति में हाथ देने की संभावना अधिक है। मैदान में दूसरों से मुकाबला सिर्फ नाम मात्र का है।
कुंदापुर में हालाडी स्टार
कुंदापुर से पांच बार विधायक रहे हालाडी श्रीनिवास शेट्टी ने इस बार चुनाव से नाम वापस ले लिया है। उनकी जगह भाजपा ने एजी कोडगी के बेटे किरणकुमार कोडगी को मैदान में उतारा है। हालाडी ने कोडगी को जीतवाने की शपथ ली है। इस बार कांग्रेस से दिनेश हेगड़े मोलहल्ली ने टिकट हासिल किया है। कांग्रेस ने शुरू में जो जोश, प्रचार और उत्साह दिखाया था, वह अब नजर नहीं आ रहा है। पिछला चुनाव 56,000 मतों के अंतर से जीतने वाली भाजपा इस बार भी वही दोहराने की उम्मीद में है।
बयंदूर में बिल्लव-बंट का मुकाबला
बयंदूर क्षेत्र से लगातार सात बार चुनाव लड़े और चार बार चुने गए गोपाल पुजारी कांग्रेस से मैदान में उतरे हैं। भाजपा ने मौजूदा विधायक बीएम सुकुमार शेट्टी की जगह संघ परिवार में बरिगाल (नंगे पैर) संत कहे जाने वाले गुरुराज गंटीहोले को टिकट दिया है। निर्वाचन क्षेत्र में ऐसा लग रहा है कि बिल्लवा-बंट समुदाय के बीच का चुनाव हो। एक प्लस प्वाइंट यह है कि गंटीहोले आम लोगों के बीच आम है और एक आरएसएस कार्यकर्ता हैं। गोपाल पुजारी हारने के बाद भी जनसंपर्क से दूर नहीं रहे, साथ ही दावा किया है कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा। कांग्रेस ने इस बार हिंदू समुदाय का वोट हासिल करने के लिए भगवा शॉल और झंडे का सहारा लिया है।
कापु में सोरके बनाम गुरवे
कापु निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा ने मौजूदा विधायक लालाजी मेंडन के स्थान पर सुरेश शेट्टी गुरवे को मैदान में उतारा है। कांग्रेस से पूर्व मंत्री विनयकुमार सोरके मैदान में हैं। दोनों पार्टियां मोगावीर समुदाय को लुभाने की पूरी कोशिश कर रही हैं, जो कि बहुत बड़ी संख्या में है। इसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि राहुल गांधी ने खुद निर्वाचन क्षेत्र में मछुआरों से बातचीत की। सोरके ने घोषणा की है कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा और उम्मीद कर रहे हैं कि इस सहानुभूति के काम करने के साथ-साथ कांग्रेस के प्रति रुझान मदद करेगा। वर्षों की समाज सेवा ने निर्वाचन क्षेत्र में सुरेश शेट्टी की अच्छी छाप छोड़ी है, जो भाजपा के लिए एक प्लस पॉइंट है।