
लिंगायतों को आकर्षित करने में जुटे शेट्टर
भाजपा के लिए चुनौती, शेट्टर का भविष्य दांव पर
विधानसभा चुनाव -2023
हुब्बल्ली. बात अक्टूबर 1990 की है। कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अचानक पद से हटा दिया था। इससे आक्रोशित लिंगायतों ने इसे समुदाय का अपमान करार दिया और दूसरी पार्टियों में चले गए।
हुब्बल्ली-धारवाड़ सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार, लिंगायत समुदाय के जगदीश शेट्टर इसी तरह का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे अपमान के हथियार का इस्तेमाल कर लिंगायत समुदाय को भाजपा से वापस कांग्रेस में लाने जा रहे हैं। इस वजह से इस क्षेत्र ने प्रदेश और देश का ध्यान खींचा है।
जनमत संग्रह कराने की कोशिश कर रहे हैं शेट्टर
इससे पहले वे लगातार छह बार भाजपा से विधायक चुने गए थे। उन्होंने सातवीं बार चुनाव लडऩे का मौका देने का अनुरोध किया था परन्तु भाजपा नेताओं ने टिकट देने से इनकार कर दिया। यह उनके साथ नहीं, समुदाय के साथ किया गया अन्याय है। बीएस येडियूरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाया। पदावनत। लिंगायत समुदाय को पार्टी में हाशिए पर रखा जा रहा है कहते हुए शेट्टर जनमत संग्रह कराने की कोशिश कर रहे हैं।
यह चुनाव शेट्टर बनाम भाजपा
इसे रोकने के लिए प्रतिद्वंद्वी भाजपा ने कई रणनीतियां बनाई हैं। शेट्टर के समुदाय से ताल्लुक रखने वाले महेश टेंगिनकाई को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा प्रचार कर रही है कि शेट्टर ने सारी सत्ता का आनंद ले कर पार्टी छोडकऱ जाने के जरिए पार्टी को धोखा दिया है। अमित शाह, जेपी नड्डा ने आदेश जारी कर कहा है कि शेट्टर किसी भी हालत में जीतना नहीं चाहिए। यह चुनाव शेट्टर बनाम भाजपा के अखाड़े में परिवर्तित हुआ है।
शेट्टर ने चली चतुर चाल
लिंगायत समुदाय के अग्रणी नेता बी.एस. येडियूरप्पा को शेट्टर के खिलाफ प्रचार करने के लिए भी इस्तेमाल किया है। शेट्टर ने यह कहकर चतुर चाल चली है कि वे येडियूरप्पा की आलोचना को वे आशीर्वाद के तौर पर स्वीकार करेंगे। यह समाज में लिंगायत वोटों को बंटने से रोकने की रणनीति है। गौर करने की बात है कि शेट्टर ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ भी एक शब्द नहीं बोला।
कांग्रेस के लिए हाथी की ताकत
रजत उल्लागड्डिमठ और अनिल कुमार पाटिल जैसे कई कांग्रेस टिकट के दावेदारों ने शेट्टर के पार्टी में शामिल होने का स्वागत किया है और उनके लिए प्रचार भी कर रहे हैं। हुब्बल्ली धारवाड़ शहरी विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष नागेश कलबुर्गी, कर्नाटक साबुन और डिटर्जेंट बोर्ड के पूर्व निदेशक मल्लिकार्जुन सावकार, विश्व हिंदू परिषद उत्तर कर्नाटक प्रांत के उपाध्यक्ष शांतन्ना काडिवाल को शेट्टर ने कांग्रेस में लाया है। यह कांग्रेस के लिए हाथी की ताकत जैसा है।
पसीना बहा रहे हैं शेट्टर
कांग्रेस के पारंपरिक वोटों जैसे दलितों, मुस्लिमों, ईसाइयों और कुरुबा के साथ अगर लिंगायत समुदाय के वोट जुड़ जाते हैं, तो शेट्टर आसानी से जीत हासिल कर सकते हैं। सोमवंश सहस्रार्जुन क्षत्रिय (एसएसके) समुदाय के मतदाता पर्याप्त संख्या में हैं। इनमें ज्यादातर भाजपा समर्थक हैं। इन्हें अपनी ओर खींचने के लिए शेट्टर को पसीना बहा रहे हैं।
शेट्टर के लिए प्लस प्वाइंट
पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा है। 2008 में शंकरन्ना मुनवल्ली 32,738 (30.51 प्रतिशत), 2013 में डॉ. महेश नालवाड़ को 40,447 (34.48 फीसदी), 2018 में डॉ. महेश नलवाड़ को 54,488 (36.89 फीसदी) वोट मिले थे। अगर यह सिलसिला जारी रहा तो यह शेट्टर के लिए प्लस प्वाइंट होगा।
व्यक्ति से ज्यादा पार्टी महत्वपूर्ण
पहली बार चुनाव लड़ रहे भाजपा के महेश टेंगिनकाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, बी.एस. येडियूरप्पा, प्रल्हाद जोशी, बसवराज बोम्मई पर निर्भर हैं। वे पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं पर निर्भर करता हैं। क्षेत्र में हुए विकास के लिए राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार कारण है कहकर मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। लिंगायत समुदाय में भाजपा के कट्टर समर्थक हैं जो मानते हैं कि व्यक्ति से ज्यादा पार्टी महत्वपूर्ण है। टेंगिनकाई की किस्मत का फैसला इस बात से होगा कि वे कब तक इनका साथ देंगे।
शेट्टर और टेंगिनकाई के साथ 16 उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है।