साध्वी संयमलता
चिक्कमगलूरु. शहर के तेरापंथ भवन में आयोजित 161वें मर्यादा महोत्सव का सानिध्य कर साध्वी संयमलता ने कहा कि तेरापंथ की तेजस्विता का राज इस धर्म संघ की नींव आचार्य भिक्षु ने तप व त्याग से रखी तथा मर्यादा का पालन इस गण के हर सदस्य के रग-रग में संस्कारित है। तभी तेरापंथ का भव्य-भवन आज सबको आकर्षित कर रहा। मर्यादाओं की आवश्यकता आज घर परिवार, समाज संगठन व संस्था को तो है ही, राजनीति में भी आज मर्यादाओं की जरुरत है।
साध्वी ने कहा कि यदि राजनीति भी अपनी रीति-नीति, नियमों, नैतिकता, प्रमाणिकता से संचालित हो तो देश तरक्की कर सकता है। इस देश की राजनीति में धर्मनीति अर्थात् आदर्श मूल्य का होना जरूरी है।
साध्वी संयमलता ने कहा कि मर्यादा मानव जीवन का अलंकार ही नहीं सुरक्षा कवच भी है। मर्यादा अमृत है, फल-फूलों से भरा उपवन है। मर्यादा कल्याण का पंथ है, आलोक है, अंकुश है।
साध्वी मार्दवश्री ने कहा कि अनेक राष्ट्र ने प्रजाहित व देश की शांति के लिए समाजवादी व्यवस्था लाने का प्रयास किया परन्तु जैसा सोचा वैसा घटित होना संभव नहीं हुआ। उसी दौरान करीब 250 वर्ष पूर्व तेरापंथ के आचार्य भिक्षु ने इस गण का विधान लिखा जो समाजवादी व्यवस्था पर आधारित है। इस संघ के हर सदस्य को न्याय मिलता है, सबको समान अधिकार है। सबको सर्व सुविधा साधन समान रूप से उपलब्ध है। कार्लमाक्र्स के साम्यवाद का वैज्ञानिक रूप तेरापंथ धर्मसंघ में देखा जा सकता है।
चिक्कमगलूरु के विधायक तम्मया ने कहा कि राजनीति में धर्मनीति का सम्मेलन होता है तो शांति की स्थापना होती है। तेरापंथ धर्मसंघ का गुणगान करते हुए कहा की एक आचार्य की आज्ञा में रहकर करीब 800 साधु साध्वियां आज के दिन गुरु के निर्देशन अनुसार अगले चातुर्मास क्षेत्र पर अपनी मोहर लगाते है।
मुख्यवक्ता हासन के रामय्या इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रध्यापक डॉ. वेणुदास गोपाल एवं डॉ. बबीता जैन ने कहा कि अहिंसा और अनेकान्त को जीने वाले जैनधर्म में मर्यादा जीवन का कल्याण करने वाली है।
साध्वी मनीषाप्रभा ने कहा कि देश की संस्कृति व संस्कारों को सुरक्षित रखने के लिए मर्यादा का होना आवश्यक है।
साध्वी रौनक प्रभा, मंड्या अध्यक्ष सुरेश भंसाली ने विचार व्यक्त किया। सभा अध्यक्ष महेन्द्र डोसी ने स्वागत कर कहा कि हमारा देश जैसे संविधान से चलता है वैसे ही तेरापंथ धर्मसंघ आचार्य की ओर से बताई गई मर्यादा के अनुसार चलता है।
कार्यक्रम में मंड्या, होलेनरसीपुर, केआर नगर, मुडगेरी, कडूर, शिवमोग्गा, तरीकेरे, चंगेरी आदि क्षेत्रों से श्रावकों की अच्छी उपस्थिति रही।
महिला मंडल, कन्यामंडल व युवकों ने शानदार सुन्दर प्रस्तुतियां पेश कीं। रात्रिकालीन कार्यक्रम में ज्ञानशाला के बच्चों ने हु इज गलोरियस नाटीका का मंचन किया।
महिलामंडल की ओर से तेरापंथ का प्राण सेवा परमो धर्म कार्यक्रम पेश किया गया।
साध्वी संयमलता ने कहा कि आचार्य तुलसी की सोच आज साकार बन गई है। ज्ञानशाला के माध्यम से हमारी भावी पीढ़ी संस्कारी व शालीन बन रही है। नशामुक जीवन जीने का उनका लक्ष्य उन्हें जीवन में ऊंचाई प्रदान कर सकता है।
इस अवसर पर युवक परिषद अध्यक्ष जयेश गादिया, महिला मंडल की अध्यक्ष गुणवन्ति नाहर, नगर पालिका सदस्य विपुल छाज्जेड आदि उपस्थित रहे।
सभा मंत्री पदमचंद नाहर ने आभार व्यक्त किया।
कच्च भुज में आचार्य महाश्रमण ने देश भर में साधु साध्वियों के चातुर्मास की घोसणा की। जिसमें कर्नाटक में आठ चातुर्मास फरमाए।
साध्वी सयंमलता आदि – विजयनगर बेंगलूरु
साध्वी सोमयशा आदि – बेंगलूरु
साध्वी पुण्ययशा आदि – केआर नगर बेंगलूरु
साध्वी पावनप्रभा आदि – केजीएफ
साध्वी सिद्धप्रभा आदि – मैसूर
मुनि पुलकित कुमार आदि – गांधीनगर बेंगलूरु
मुनि विनीत कुमार आदि – हुब्बल्ली
मुनि आकाश कुमार आदि – गंगावती
इन चातुर्मास की घोषणा के बाद कर्नाटक के जैन श्रावक श्राविकाओं में बड़ी हर्ष की लहर छा गई है।