साइबर अपराध, एक वर्ष में 3000 करोड़ रुपए रुपए का धोखासाइबर अपराध,

पिछले तीन वर्षों में 57,601 मामले दर्ज

हुब्बल्ली. कैशलेस क्रांति के मद्देनजर साइबर धोखाधड़ी का संकट भी तेजी से फैल रहा है और पिछले तीन वर्षों में इसके लगभग 57,601 मामले दर्ज किए गए हैं।
अनुमान है कि 2024 में एक ही वर्ष में 3,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई है। इसमें से जब्त की गई राशि केवल 221.07 करोड़ रुपए थी।
साइबर अपराध को रोकने के लिए एक अलग इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव अभी भी समीक्षाधीन है। साइबर धोखाधड़ी करने वालों का नेटवर्क विदेशों तक फैला हुआ है, जिससे मामलों का पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। साइबर धोखाधड़ी में विशेष रूप से महिलाएं और सेवानिवृत्त लोग फंस रहे हैं। बेंगलूरु में 9 समेत पूरे राज्य में 45 साइबर अपराध पुलिस थाने खोले गए हैं, इसके बाद भी यह संख्या पर्याप्त नहीं है। साइबर अपराध सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग तक ही सीमित नहीं है, यह भी देखा गया है कि इसमें अवैध लेनदेन भी हो रहा है। विधान सभा याचिका समिति के समक्ष साइबर अपराध का मामला प्रस्तावित किया गया है, और समिति ने इसे गंभीरता से लेते हुए और अधिक जानकारी मांगी है।

2024 में 22,445 मामले दर्ज

वर्ष 2022 में राज्य में साइबर धोखाधड़ी के लगभग 12,911 मामले दर्ज किए गए थे। इसमें 4,543 आरोपियों की पहचान की जा चुकी है, परन्तु केवल 1,042 को ही गिरफ्तार किया गया है। 2023 में 22,245 मामले दर्ज किए गए थे, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुने हैं। इनमें से 9,767 आरोपियों की पहचान हो चुकी है, जबकि केवल 978 को गिरफ्तार किया गया है। 2024 में 22,445 मामले दर्ज किए गए और 8,577 आरोपियों की पहचान की गई परन्तु केवल 643 को ही गिरफ्तार किया गया।

पोर्टल पर 7.89 लाख शिकायतें दर्ज

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 में राज्य के लिए एनसीआरपी पोर्टल पर जहां करीब 7,89,435 शिकायतें दर्ज की गईं, वहीं साइबर पुलिस थानों में मात्र 22,445 मामले ही दर्ज किए गए। एक ही साल में राज्य के लोगों को साइबर जालसाजों के जाल में फंसकर अनुमानित 2,948.22 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसमें से 221.07 करोड़ रुपए जब्त कर लिए गए हैं तथा 186.85 करोड़ रुपए पीडि़तों को दिए गए हैं।

उल्लेखनीय वृद्धि होगी

2022 से 2024 तक दर्ज कुल 57,601 साइबर धोखाधड़ी के मामलों में से सिर्फ एक साल की राशि 2,948 करोड़ रुपए थी, और अन्य दो वर्षों में कितनी हानि हुई, इसकी जानकारी अभी आनी बाकी है। ऐसे कई लोग हैं जो साइबर जालसाजों के जाल में फंसकर पैसा गंवा चुके हैं, परन्तु शिकायत दर्ज कराए बिना चुप रह गए हैं। यदि उन मामलों को ध्यान में रखा जाए तो मामलों की संख्या और धोखाधड़ी की गई राशि में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

धोखेबाजों का नेटवर्क पता लगाने की चुनौती

साइबर पुलिस के एक अधिकारी का कहना है कि राज्य में साइबर धोखाधड़ी के कई मामले सामने आ रहे हैं, परन्तु उनका पता लगाना, आरोपियों को गिरफ्तार करना और पैसा जब्त करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। साइबर धोखेबाजों का नेटवर्क भारत तक ही सीमित नहीं है। चीन, दुबई, थाईलैंड, कंबोडिया, हांगकांग, लाओस और अन्य देशों के एटीएम से पैसा निकाला जा रहा है, जो पुलिस के लिए बड़ी सिरदर्दी और चुनौती बन गया है।

अलग इकाई की स्थापना का प्रस्ताव

साइबर अपराध की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए एक अलग इकाई की स्थापना करनी चाहिए तथा डीजीपी स्तर के एक अधिकारी को इसका प्रमुख नियुक्त करना चाहिए, जिसके अधीन डीआईजीपी, आईजीपी अधिकारी तथा पांच एसपी स्तर के अधिकारी नियुक्त करने चाहिए। फैक्ट चेक यूनिट एवं साइबर तकनीकी यूनिट की स्थापना, साइबर विशेषज्ञों की नियुक्ति तथा अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर एवं उपकरणों की खरीद का प्रस्ताव सौंपा गया है।

जिलावार सूची उपलब्ध कराने का दिया निर्देश

राज्य में साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें बढ़ रही हैं, जिनमें महिलाएं और सेवानिवृत्त लोग शिकार बन रहे हैं। विधानसभा याचिका समिति के सदस्य के तौर पर यह मामला उठाया था। पुलिस अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी चौंकाने वाली है। सिर्फ एक वर्ष में लगभग 3,000 करोड़ रुपए धोखा खाना सामान्य बात नहीं है। यह एक गंभीर मामला है। साइबर धोखाधड़ी के विदेशी कनेक्शन हैं, और हमने उन्हें इंटरपोल से सहायता लेने की सलाह दी है। राज्य में साइबर धोखाधड़ी की जिलावार सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
महेश टेंगिनकाई, भाजपा विधायक

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