चिक्कमगलूरु. तेरापंथ भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी संयमलता ने कहा कि मंत्रों का उच्चारण व बीजमंत्र हमारे आभामंडल को निर्मल व सशक्त बनाते है। इससे हमारी भीतरी शक्तियां जागृत होती हैं, आत्मबल व मनोबल का विकास होता है। हर साधक को तेजस्वी बनने के लिए आध्यात्मिक अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए।
साध्वी मार्दवश्री ने अनुष्ठान करवाते हुए अनेक मंत्र व ध्वनियों से शुद्ध व सूक्ष्म वाइब्रेशन को क्रिएट किया। तेरापंथ के चतुर्थ आचार्य जयाचार्य के सिद्ध मंत्र मंत्र का प्रयोग करवाया तथा उसके साथ ही विभिन्न मुद्राओं के माध्यम से हम तन व मन को कैसे स्वस्थ बना सकते हैं। मुद्रा विज्ञान के विशेष गुरु व स्वर विज्ञान की विस्तृत जानकारी देते हुए आचार्य जीतमल के चमत्कारी प्रभावशाली जीवन के घटना प्रसंग सुनाते हुए तीन श्रावकों ने उनकी सनिधि में तीर्थंकर गौत्र की बंध किया उनके जीवनवृत्त पर प्रकाश डाला।
ज्ञानशाला टीचर्स ने बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए शिशु संस्कार बोध के विशिष्ट ज्ञानार्थियों को सम्मानित किया। अनुशासन व कोरोना वायरस विषय पर प्रस्तुति देने वाले बच्चों को तेरापंथ सभा, युवक परिषद ट्रस्ट, महिला मंडल ने उपहार देकर प्रात्साहित किया। बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
गुरु इंगित अनुसार बेंगलूरु, विजयनगर के चातुर्मास के लिए मंगलवार को 11.25 बजे साध्वी चिक्कमगलूर से हासन की ओर विहार करेंगे।