गर्म क्षेत्र पर उगाई सेब की समृद्ध फसल

आईटी कर्मचारी की पहल, लाभ की उम्मीद

गदग. गजेंद्रगढ़ कस्बे के 23वें वार्ड के उणचगेरी गांव के आईटी कर्मचारी परशुराम जीवप्पा कलालबांडी गांव में अपनी जमीन पर कम पानी वाले गर्म क्षेत्र पर कश्मीर और शिमला में उगाए जाने वाले सेब के पेड़ उगाए हैं। वर्तमान में पौधे खूब बढ़ गए हैं और फल दे रहे हैं।

बेंगलूरु की एक कंपनी में आईटी कर्मचारी परशुराम कलालबंडी कोविड काल में घर से काम (वर्क फ्राम होम) कर रहे थे और उनकी निजी नौकरी में कोई सुरक्षा नहीं है। अपनी पैतृक संपत्ति पर नए तरीके से खेती कर जीवन में सुरक्षा पाने के लिए उन्होंने 2023 में हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से अन्ना और गोल्डन डोरसेट किस्म के 760 पौधे लाकर 9 फीट की दूरी पर लगाए। इनमें से 660 पौधे बहुतायत में विकसित हुए हैं। वे इस वर्ष से ही फसल काट रहे हैं और लाभ की उम्मीद कर रहे हैं।

शेष भूमि पर सब्जियां और पारंपरिक फसलें उगा रहे हैं

इसके साथ ही 2.5 एकड़ भूमि पर पपीता उगाया है। उनके बीच अनार लगाए हैं। पपीता फल देने लगा है, और जैसे ही पपीते की फसल समाप्त होती है, अनार फल देने लगे इस प्रकार खेती की है। शेष भूमि पर सब्जियां और पारंपरिक फसलें उगा रहे हैं।

कृषि कार्य में मदद कर रहे हैं परिजन

खेत पर 2 बोरवेल हैं, और वे 1.5 इंच पानी से ड्रिप सिंचाई का उपयोग करके भूमि की सिंचाई कर रहे हैं। परशुराम 15 दिनों में एक बार बगीचे में आकर सलाह और मार्गदर्शन दे रहे हैं, और उनकी बड़ी बहन कस्तूरेव्वा शिवप्पा मुंडरगी, उनके बहनोई शिवप्पा मुंडरगी और उनका साला सुदीप पुलिस पाटिल कृषि कार्य में मदद कर रहे हैं।

उपलब्ध पानी से ड्रिप सिंचाई के माध्यम से खेती कर रहे हैं

परशुराम के बहनोई शिवप्पा मुंडरगी ने कहा कि जब हमारे साले ने सेब का फार्म शुरू करना चाहा तो शुरू में हमें इस बात की चिंता थी कि क्या इससे सेब उगेगा या नहीं परन्तु मुझे खुशी है कि इस साल फसल आ रही है। यदि कृषि के लिए अधिक पानी होता तो कृषि और भी बेहतर हो सकती थी परन्तु हम उपलब्ध पानी से ड्रिप सिंचाई के माध्यम से खेती कर रहे हैं।

बाजार की कोई समस्या भी नहीं होगी

हमारी सेब की फसल गर्मियों में आती है। कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में ग्रीष्मकालीन फसल नहीं होती। इसके चलते हमें अच्छी कीमत मिलने के साथ बाजार की कोई समस्या भी नहीं होगी। इसके अलावा, अगर किसान केवल पारंपरिक फसलें उगाने के बजाय पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलें उगाना शुरू कर दें, तो उनकी आय में वृद्धि होगी।
परशुराम कलालबंडी

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