पौधों और वृक्षों को लिया गोद
पहाड़ी पर हैं लगभग 11-12 हजार पेड़-पौधे
हुब्बल्ली. नृपतुंगा वॉकर्स के पर्यावर प्रेमियों ने ग्रीष्म ऋतु के दौरान नृपतुंग बेट्टा पहाड़ी पर उगने वाले हजारों पौधों और वृक्षों की सुरक्षा करने तथा पानी की कमी न यह सुनिश्चित करने के लिए उन्हें गोद लेकर प्रतिदिन पानी देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 12 मार्च को पौधों और वृक्षो को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू की है।
पहाड़ों में कई पर्यावरण प्रेमियों ने कई वर्षों से पेड़-पौधों की सुरक्षा और नए पौधे लगाने सहित संरक्षण के अपने कार्यों में अनुकरणीय भूमिका निभा रहे हैं। डॉ. तपशेट्टी, गोपालय्या, जी. विजयकुमार, जावलकर, चन्नु होसमनी, श्रीकांत और कई अन्य लोग हरियाली की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने पेड़-पौधों को गोद लेने का कार्य शुरू किया है।
बंद है बोरवेल
डॉ. तपशेट्टी ने बताया कि नृपतुंग बेट्टा पहाड़ी पर पौधों और पेड़ों को पानी उपलब्ध कराने वाला 20 साल पुराना बोरवेल 26 फरवरी से बंद है। जिस कंपनी ने मरम्मत के लिए बोरवेल खोदा था, उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसके चलते वन विभाग के अधिकारियों की अनुमति से दूसरे बोरवेल खोदने वाले देखा जा रहा है। गर्मियों के दौरान ही बोरवेल खराब होने से छोटे पौधे सूख रहे हैं, और वे बोरवेल की मरम्मत होने और गर्मियां खत्म होने तक पौधों और पेड़ों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
पहाड़ी पर हैं लगभग 11-12 हजार पेड़-पौधे
नृपतुंग वॉकर्स के अंतर्गत लगभग 300 सदस्य हैं। इसमें बेट्टा हसिरु (हरी पहाड़ी) और बेट्टा टी-शर्ट ग्रुप सहित चार समूह शामिल हैं। इन सभी सदस्यों को कम से कम एक पौधा अपनाना होगा। हर दिन जब वे पहाड़ी पर आते हैं, तो उन्हें घर से 5 लीटर पानी का एक डिब्बा लाना पड़ता है और उस पौधे पर डालना पड़ता है जिसे उन्होंने गोद लिया है। गोद लेने वाले सदस्य का नाम पंजीकरण के साथ एक टैग जारी किया जाता है। उन्हें उस टैग को उस पौधे पर लगाकर उसे पानी देना चाहिए। पहाड़ी पर लगभग 11-12 हजार पौधे और पेड़ हैं।
बूंद सिंचाई पर विचार
बोरवेल की मरम्मत होने पर पहाड़ी पर पेड़-पौधों को बचाने और बढ़ाने में अनुमानित 50-55 हजार रुपए की लागत से ड्रिप सिंचाई योजना लागू करने की योजना है। यह लागत उन लोगों के बीच विभाजित की जाएगी जो पौधे अपनाएंगे। यदि ड्रिप सिंचाई परियोजना लागू हो जाए तो प्रत्येक पौधे तक जाकर उसे पानी देने का प्रयास कम हो जाएगा।
विकृत मानसिकता वालों का कुकर्म
कुछ विकृत मानसिकता वाले लोग चाकू से पौधों के तने को आधा काट रहे हैं, जिससे वे नीचे से दिखाई नहीं दे रहे हैं, और पौधे मुरझाने लगे हैं। ऐसा सिर्फ एक या दो नहीं, बल्कि अनेक पोडों के लिए ऐसा किया गया है। यह ज्यादातर पहाड़ी के पहले और दूसरे क्षेत्र में पाया गया है। दूसरी ओर, पेड़-पौधों को पानी देने के लिए जगह-जगह पाइप लाइन लगाई गई है, जिसे विकृत मानसिकता वाले लोग तोड़ रहे हैं। नई पाइपें लाकर लगाई जा रही हैं, इसके बाद भी वे बार-बार टूट रही हैं।
गोद लेने के बारे में सोचा है
नृपतुंगबेट्टा पहाड़ी पर बोरवेल बंद होने के कारण पौधे पानी के बिना सूखने की स्थिति में पहुंच गए हैं। गर्मी बढ़ रही है और हम पौधों को बचाने के प्रयास में उन्हें गोद लेने के बारे में सोचा है। सदस्यों की ओर से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
-चन्नू होसमनी, नृपतुंग वॉकर्स