भारत को प्रौद्योगिकी का वैश्विक केंद्र बनाने में कृषि छात्रों की भूमिका महत्वपूर्ण

राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा

रायचूर. कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा कि खाद्य और कृषि उत्पादन के साथ-साथ भारत को प्रौद्योगिकी, नवाचार और नैतिकता का वैश्विक केंद्र बनाने में कृषि छात्रों की भूमिका महत्वपूर्ण है।

वे सोमवार को बल्लारी से वर्चुअल माध्यम से भाग लेते हुए रायचूर कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय के 14वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि कृषि आधारित स्टार्टअप भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रांति ला रहे हैं। आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसमें कृषि क्षेत्र की प्रमुख भूमिका है। युवा पीढ़ी को “स्टार्टअप इंडिया”, “डिजिटल इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसी योजनाओं के माध्यम से देश को विकसित राष्ट्र बनाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। हमारे किसानों को पारंपरिक फसलों के अलावा औषधीय और सुगंधित फसलों की खेती पर भी ध्यान देना चाहिए।

गहलोत ने कहा कि हमें सुरक्षित खाद्यान्न उत्पादन के लिए जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, कम पानी में अधिक उपज प्राप्त करने तथा पर्यावरण अनुकूल खेती जैसी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की दिशा में और अधिक मेहनत करने की आवश्यकता है। इससे कृषि उत्पादन स्वच्छ होता है और उत्पादकता बढ़ती है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है। कृषि उत्पादन की मांग को पूरा करने के लिए नए विकल्पों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

रायचूर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एम. हनुमनतप्पा ने कहा कि रायचूर कृषि विश्वविद्यालय ने शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। विश्वविद्यालय की सेवा किसानों के कल्याण के लिए समर्पित है।
दीक्षांत समारोह में मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, स्नातकोत्तर उपाधियां एवं विभिन्न डिग्रियां प्रदान की गईं।

इस अवसर पर कृषि मंत्री एन. चेलुवरायस्वामी, भारतीय विश्वविद्यालय संघ के मानद महासचिव डॉ. पंकज मित्तल, वर्तमान रजिस्ट्रार डॉ. के.आर. दुरूगेश, निवर्तमान रजिस्ट्रार डॉ. गुरुराज सुंकद और विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड के सदस्य, विभागाध्यक्ष एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *