बरसात के मौसम में बाढ़ का खतरा
कारवार. अंकोला तालुक के शिरूर के पास पहाड़ी ढहने से 11 लोगों की मौत हुए इस जुलाई को एक साल हो जाएगा। भीषण त्रासदी के दौरान पास की गंगावली नदी में गिरे मिट्टी के ढेर को अभी तक नहीं हटाया गया है। नतीजतन, नदी किनारे के ग्रामीण चिंतित हैं कि बारिश के मौसम में बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है।
शिरूर में 16 जुलाई, 2024 को पहाड़ी ढही थी। पहाड़ी से गिरी भारी मात्रा में मिट्टी और पत्थर राष्ट्रीय राजमार्ग-66 पर गिरे और उसके बगल में बह रही नदी में गिर गए। करीब 50 मीटर के दायरे में गिरे मिट्टी के ढेर को अभी तक नहीं हटाया गया है। इसके कारण वासर कुदरी, बेलसे, शिरूर और उलुवरे समेत कई गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
जलस्तर तेजी से बढऩे का डर
उलुवरे गांव के जगदीश गौड़ा ने बताया कि नदी के दूसरे किनारे पर स्थित उलुवरे गांव में भूस्खलन और मिट्टी व पत्थरों के ढेर से आठ घर पूरी तरह से नष्ट हो गए थे। 12 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो गए थे। आपदा के एक साल बीत जाने के बाद भी नदी में गिरी मिट्टी को नहीं हटाया जा सका है। भारी बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढऩे से बाढ़ आने का डर है। नदी के उस पार मिट्टी व पत्थरों के कारण नदी का जलस्तर तेजी से बढऩे का डर है।
नाव की आवाजाही संदिग्ध
बंदरगाह, जल परिवहन बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि गंगावली नदी में जमा गाद को हटाने के लिए नावों के जरिए कार्रवाई करना अनिवार्य है। नाव को अरब सागर से होते हुए मंजगुनी के पास संगम क्षेत्र से नदी में जाना चाहिए। मानसून के मौसम में समुद्र में हलचल रहती है, इसलिए नांव का चलना मुश्किल हो सकता है।
एक सप्ताह में पूरी की जाएगी टेंडर प्रक्रिया
नदी से गाद निकालने की प्रशासनिक मंजूरी एक महीने पहले ही मिली है। नदी की सतह से 6 मीटर की गहराई तक गाद निकालने की मंजूरी मिल गई है। प्रारंभिक सर्वेक्षण से प्राप्त रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि 1.48 लाख घन मीटर मिट्टी का ढेर हो सकता है। गंगावली नदी में जमा गाद को हटाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से 2 करोड़ रुपए मंजूर हुए हैं। टेंडर प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर पूरी कर ली जाएगी।
–एम.वी. प्रसाद, कार्यकारी अभियंता, बंदरगाह, जल परिवहन बोर्ड