किम्स परिसर में स्थित गुलाब का उद्यान।

कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (किम्स) परिसर में विकसित है उद्यान
किम्स में मरीजों व परिजनों को दे रहा खुशी
हुब्बल्ली. शहर के कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (किम्स) परिसर में विकसित रोज गार्डन पर्यावरण की सुंदरता को बढ़ाने के साथ साथ इलाज के लिए आने वाले मरीजों और उनके रिश्तेदारों को प्रसन्न कर रहा है।

न केवल किम्स आने वाले लोग, बल्कि आसपास के आवासीय इलाकों के निवासी भी इस पार्क में नियमित रूप से आते हैं।

रोजाना सुबह और शाम की सैर के लिए आने वालों के लिए यह हरा-भरा स्थान खुशी देता है।

पिता से सीखा पौधों का देखभाल

उद्यान रखरखाव कर्मचारी रामचन्द्र तलवार ने बताया कि हम सुबह 9 से शाम 5 बजे तक बगीचे में काम करते हैं। हम हर दूसरे दिन बगीचे में पानी डालते हैं। इसके अलावा, हम कचरा पौधे हटाना और कटाई सहित अन्य सफाई कार्य भी करते हैं। 15 दिन में एक बार फोर्किंग (मिट्टी को ढीला करना), 2 महीने में भैंस के गोबर की एक बार खाद डालते हैं। हम प्रति वर्ष 4 ट्रैक्टर गोबर खाद और 4 ट्रैक्टर लाल मिट्टी मंगवाते हैं। हम उर्वरक के रूप में मिट्टी, रेत और गोबर की खाद मिलाकर पौधों को चालते हैं। हम हमारे पिता के समय से किम्स के बगीचे में काम कर रहे हैं उन्हीं से ही गुलाब के पौधों की देखभाल का सबक सीखा है।

सेल्फी स्पॉट बने टैबूबिया पौधों 

उद्यान प्रबंधन कर्मचारी मंजुनाथ दोड्डमनी ने बताया कि यहां 4 साल से चंदन और फलों के पेड़ भी लगाए गए हैं। चीकू के 20, अमरूद के 20, अनार के 5, विलायती इमली के 15 और केले 10 के पौधे उगाए गए हैं। बगीचे में टैबूबिया के पौधों में बैंगनी रंग के फूल लगेे हैं, जो यहां के पर्यावरण के लिए एक विशेष रौनक लाए हैं। यह एक सेल्फी डेस्टिनेशन बन गया है।

1.5 एकड़ में गुलाब के पौधे उगाए

उद्यान के पर्यवेक्षक श्रीनिवास बलारी ने बताया कि हम पिछले 5 साल से पुणे से गुलाब के पौधे ला रहे हैं। डच गुलाब और बटन गुलाब हैं। लाल, गुलाबी, सफेद, केसरिया, पीला, हल्का गुलाबी और हल्का पीला सहित 9 रंगों के कुल 1,200 पौधे हैं। गुलाब के पौधों को हमेशा फूल से भरे रहने के लिए बहुत देखभाल की जरूरत होती है। यहां उद्यान की देखरेख के लिए 6 कर्मचारी हैं।

विभिन्न प्रकार के मौसमी फूल

गुलाब के फूल के साथ-साथ डेयर, गिलाडिया, गेंदे का फूल, कॉस्मिया नट (फूल का पौधा) हिबिस्कस, जिनिया, सुलेशिया समेत 10 से अधिक फूलों के पौधे यहां उगाए जाते हैं। ऐसे फूलों के बीज एकत्रित कर अगले वर्ष पुन: उसी समय पौधे उगाने की व्यवस्थित योजना बनाई गई है। मई के अंत में, जब बारिश शुरू होती है, बगीचे में गमले तैयार किए जाते हैं और उनमें बीज बोए जाते हैं। एक माह में पौधे तैयार हो जा जाते हैं। फिर लगाए गए पौधों में दिसंबर के अंत तक फूल निकलते हैं। उद्यान के लिए महानगर निगम की ओर आपूर्ति किए गए पानी के साथ-साथ पुनर्चक्रित पानी का भी उपयोग किया जा रहा है।

उद्यान के लिए और अधिक सुविधा
दक्षिण भारत में ही केवल हुब्बल्ली के किम्स अस्पताल परिसर में मात्र गुलाब का बगीचा है। इससे उन मरीजों को कुछ राहत मिलती है जो बीमारी और दुर्घटनाओं का दुख लेकर यहां आते हैं। उद्यान के रख-रखाव के लिए अलग से कोई अनुदान नहीं है। हम इसके लिए स्वच्छता अनुदान का उपयोग करते हैं। गार्डन में फव्वारे की सुविधा उपलब्ध कराने का विचार है। औषधीय पौधों के लिए उद्यान विकसित करने की योजना है। इस बारे में कृषि एवं उद्यानिकी विभाग से चर्चा की गई है।

उदयकुमार होनवाडकर, सहायक कार्यकारी अभियंता, किम्स, हुब्बल्ली

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