अरविंद बेल्लद ने लगाया आरोप
हुब्बल्ली. विधानसभा में विपक्ष के उपनेता अरविंद बेल्लद ने कहा कि सांसद डी.के. सुरेश के बयान से यह साबित हो गया है कि कांग्रेस के लोग केवल वोट की खातिर देश को बेचने से नहीं हिचकिचाते, वोट की खातिर किसी भी स्तर तक गिरने से नहीं डरते।
शहर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बेल्लद ने कहा कि चुनाव में वोट पाने की चाहत में दक्षिण भारत को उत्तर भारत से अलग करने के बयान पर डीके सुरेश को गलती स्वीकार कर बयान वापस लेना चाहिए। यह देश हित में ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को डी.के. सुरेश के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस के लिए गारंटी है कि वे लोकसभा चुनाव नहीं जीतेंगे। इसके चलते उनके मन में राज्य में गारंटी योजनाओं को बंद करने का विचार है।
बेल्लद ने कहा कि लोगों को गुमराह करने के इरादे से डी.के. सुरेश ने ऐसा बयान दिया है। ऐसा ही काम मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या पहले ही कर चुके हैं। मेट्रो में कन्नड़, हिंदी और अंग्रेजी में बोर्ड लगे हैं। वहां हिंदी का बोर्ड लगाकर उत्तर भारत की हिंदी भाषा थोप रहे हैं कहकर झूठा हंगामा खड़ा किया था। चुनाव के दौरान नंदिनी और अमूल दूध के नाम पर हंगामा खड़ा किया था।
उन्होंने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही कन्याकुमारी से कश्मीर तक है। इसे बांटना सही नहीं है। सबसे ज्यादा जीएसटी वसूलने वालों की सूची में कर्नाटक, तमिलनाडु हैं, जबकि केरल विकसित राज्य है। तेलंगाना प्रगतिशील राज्य है, इसलिए यह सच है कि दक्षिणी राज्य उत्तर के राज्यों की तुलना में अधिक विकसित हैं।
तिलक की जगह सिद्धरामय्या को पहनाएं टोपी
बेल्लद ने कहा कि सिद्धरामय्या शुरू से ही हिंदू विरोधी हैं। तुष्टिकरण की राजनीति करने के उद्देश्य से हिंदू रीति-रिवाजों का विरोध करते हैं। वे जहां भी जाएंगे वहां तिलक लगाने की बजाय टोपी पहनानी चाहिए।
केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस नेताओं के दिल्ली चलो आंदोलन के बारे में बेल्लद ने कहा कि विधायकों को अनुदान देने की योग्यता प्रदेश की कांग्रेस सरकार नहीं को नहीं है। मैं भी विधायक हूं। पिछले 8 माह में एक करोड़ रुपए का अनुदान नहीं दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि आंतरिक फूट, भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए सिद्धरामय्या लोगों को गुमराह करने जैसे काम कर रहे हैं। वे चाहे कुछ भी दांव लगा लें जनता ने केंद्र में नरेंद्र मोदी को ही चुनने का मन बना लिया है। राज्य के नेता और उनके चेले केंद्र सरकार का पैसा अपनी जेब में डाल रहे हैं। सभी नेता भ्रष्टाचार कर अपनी जेबें भर रहे हैं। उसी पैसे का उपयोग सूखे और विकास में खर्च करना चाहिए। उन्हें पता चल गया है कि वे लोकसभा नहीं जीतेंगे। इसके चलते गारंटी योजनाएं केवल लोकसभा चुनाव तक ही हैं। इसीलिए वे गारंटी रद्द करने की प्रस्तावना बना रहे हैं।