Do not interpret the visit of Mahadayi flood committee in any other wayहुब्बल्ली में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी।

केंद्रीय मंत्री जोशी किया अनुरोध
हुब्बल्ली. केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि महादयी बाढ़ समिति के दौरे को लेकर कोई अन्य मतलब नहीं निकालना चाहिए। ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद योजना के लिए एक कमेटी नियुक्त की जाती है। इसी तरह महादयी योजना के लिए एक समिति नियुक्त की गई है और यह समिति गोवा के मुख्यमंत्री के अनुरोध पर नहीं आ रही है।
शहर में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए जोशी ने कहा कि महादयी बाढ़ समिति परियोजना क्षेत्र का दौरा करेगी। यह समिति महादयी क्षेत्र में क्या गतिविधियां चल रही हैं इसका अध्ययन करेगी। इसका मतलब यह कमेटी केंद्र को रिपोर्ट नहीं करेगी। यह समिति गोवा के मुख्यमंत्री के अनुरोध पर नहीं आ रही है। यह समिति एक स्वाभाविक प्रक्रिया के तहत दौरा कर रही है।
केंद्र सरकार ने पहले ही महादयी परियोजना की डीपीएआर की अनुमति दे चुकी है। 52 हेक्टेयर के घने वन क्षेत्र में परियोजना को शुरू करने के लिए अनुमति की आवश्यकता है। टाइगर कॉरिडोर में अनुमति की आवश्यकता है। वन्य जीव बोर्ड से अनुमति मिलने पर परियोजना का काम शुरू हो जाएगा। बाढ़ समिति के दौरे से कर्नाटक को कोई खतरा नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से पहले ही दी गई बीपीएआर अनुमति को भी किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी।

सीएम के भ्रष्टाचार को साबित करता है जिलाधिकारी का तबादला

केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपनी चाहिए, तभी निष्पक्ष जांच संभव है। यह सीधे मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या और उनके बेटे से जुड़ा घोटाला हैै। जल्दबाजी में किए गए जिलाधिकारी के तबादले से उनकी भ्रष्टाचार में संलिप्तता साबित होती है।
उन्होंने कहा कि मुडा में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। पूरे घोटाले के बारे में सिद्धरामय्या जानते हैं। 2014 से 2018 में इसकी प्रमुख गतिविधियां हुई हैं। सीएम सिद्धरामय्या और उनके बेटे की इजाजत के बिना ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने अपना लाभ कमाने के लिए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है। कुछ नहीं किया तो फिर जल्दबाजी में जिलाधिकारी का तबादला क्यों किया।
जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या खुद को लोहियावादी या समाजवादी का दावा करने के लायक नहीं हैं। मुडा और एसटी निगम घोटाले में सीधे तौर पर सीएम शामिल हैं। सरकार ने इन मामलों पर पर्दा डालने का फैसला किया है। इतने दिनों तक नागेंद्र इससे छुटकारा पाने का मौका देकर अब नोटिस जारी किया है। वे भ्रष्टाचार करने के नए-नए तरीके खोज रहे हैं। मुख्यमंत्री कैसे भ्रष्टाचार करना जानते हैं।

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