करवार. प्रशासन में विकेन्द्रीकरण प्रणाली के तहत गठित जिला पंचायत और तालुक पंचायतें लगभग चार वर्षों से निर्वाचित प्रशासनिक समिति के बिना हैं।
लोगों की शिकायत है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रभावी कार्रवाई करना अधिकारियों के प्रशासन से संभव नहीं हो पा रहा है।
जिला पंचायत और तालुक पंचायत के पिछले निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल अप्रेल 2021 में समाप्त हो गयास था। और दो महीनों में प्रशासनिक व्यवस्था के दोनों स्तरों पर जन प्रतिनिधियों के बिना ठीक चार वर्ष हो जाएंगे।
जिले में पहले 39 जिला पंचायत और 111 तालुक पंचायत निर्वाचन क्षेत्र थे। चार वर्षों से इन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई सदस्य नहीं है परन्तु जिला पंचायत के लिए एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किया गया है तथा तालुक पंचायत के लिए एक वरिष्ठ केएएस अधिकारी को प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किया गया है।

विकेंद्रीकरण प्रणाली को खत्म करने का प्रयास

एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर शिकायत की कि प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था बनाई गई है। इसके भाग के तौर पर विधान सभा के अंतर्गत जिला पंचायतें और तालुक पंचायतें हैं। लोगों की समस्याओं पर ध्यान देने के लिए निर्वाचित सदस्य होने पर प्रभावी कार्य संभव है। राज्य सरकार सदस्यों के चयन के लिए चुनाव न कराकर विलंब की नीति अपना रही है, जो विकेंद्रीकरण प्रणाली को खत्म करने का प्रयास है।

पंचायत सदस्यों की आवश्यकता अनिवार्य

उन्होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से विशाल उत्तर कन्नड़ में ग्रामीण क्षेत्र अधिक है। पानी और बुनियादी ढांचे से संबंधित समस्याएं काफी हैं। ग्राम पंचायत सदस्यों के लिए लोगों की कई समस्याओं का समाधान करना कठिन होता है। विधायक काम के दबाव में छोटे-छोटे मुद्दों का समाधान नहीं कर पाते हैं। छह विधायकों के लिए पूरे जिले की समस्याओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करना मुश्किल है, इसलिए जिला पंचायत और तालुक पंचायत सदस्यों की आवश्यकता अनिवार्य है।

चुनाव में देरी करना ठीक नहीं

जिला पंचायत और तालुक पंचायत के चुनाव जल्द से जल्द होने चाहिए। कोई न कोई बहाना बनाकर चुनाव में देरी करना ठीक नहीं है।
-आर.डी. हेगड़े जनमाने, पूर्व सदस्य, जिला पंचायत

जल्द चुनाव कराने भरोसा
जिला पंचायत और तालुक पंचायत में निर्वाचित सदस्य होंगे तो लोगों की समस्याओं का प्रभावी समाधान हो सकेगा। कहा कि सरकार की ओर से ही जल्द चुनाव कराने भरोसा है।
पुष्पा नायक, पूर्व सदस्य, जिला पंचायत

स्थानीय मुद्दों का समाधान करें
देरी की नीति के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी समस्याएं विकराल हो गई हैं। जल्दी चुनाव कराकर स्थानीय मुद्दों का समाधान करना चाहिए।
-चैत्रा कोठारकर, पूर्व अध्यक्ष, जिला पंचायत स्थायी समिति

निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या बढ़ी
उत्तर कन्नड़ जिला पंचायत में पहले 11 तालुकों के 39 निर्वाचन क्षेत्रों से 111 तालुक पंचायत निर्वाचन क्षेत्र थे। सरकार ने दिसंबर 2023 में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके तहत नए से दांडेली तालुक पंचायत का गठन कर 12 तालुकों से 121 तालुक पंचायत निर्वाचन क्षेत्र बनाए गए हैं, जिला पंचायत निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या बढ़ाकर 54 कर दी गई है। तीन बार मसौदा अधिसूचना जारी की गई और आपत्तियां सौंपने का मौका दिया गया। अंतत:, उपरोक्त क्षेत्रों को अंतिम रूप दे दिया गया है। चुनाव के लिए निर्वाचन क्षेत्रवार आरक्षण लंबित है। अप्रेल या मई में चुनाव होने के समीकरण के साथ राजनीतिक दलों के नेताओं ने पर्दे के पीछे से तैयारियां शुरू कर दी है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *