दपरे ने लागू की "कवच" योजनादपरे ने लागू की "कवच" योजना

दो चरणों में 3,692 किमी. क्षेत्र में सुरक्षा प्रणाली स्थापित

18 माह में कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा

हुब्बल्ली. भारतीय रेलवे रेल दुर्घटनाओं को शून्य करने के लिए काफी प्रयास कर रही है और ट्रेनों की ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (कवच) को लागू कर रही है। इसके तहत दक्षिण पश्चिम रेलवे (दपरे) ने पहली बार दो चरणों में ट्रेनों में “कवच” लगाने की योजना बनाई है।
दपरे कार्य क्षेत्र में 2 चरणों में लगभग 3,692 किमी. क्षेत्र में सुरक्षा प्रणाली स्थापित की जा रही है। यह एक ऐसी प्रणाली है जो रेडियो तरंगों के माध्यम से रेलवे स्टेशन और ट्रेन चालकों के बीच स्पष्ट संचार प्रदान करती है, तथा आपातकालीन स्थिति में तत्काल सूचना प्रेषित करती है।

कवच प्रणाली को 2018-19 में अंतिम स्वीकृति मिली थी

भारतीय रेलवे 2030 तक माल परिवहन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 45 करने का निर्णय लिया है, जिसके लिए अधिक मालगाडिय़ों की आवाजाही की आवश्यकता है। ट्रेनों की आवाजाही में छोटी सी भी दुर्घटना न हो, इस तरह से बुनियादी ढांचे का काम किया जा रहा है और इसके एक हिस्से के तौर पर स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली “कवच” परियोजना को क्रियान्वित किया गया है। कवच को भारतीय रेलवे और मूल उपकरण निर्माता के सहयोग से विकसित किया गया है। यह एक आत्मनिर्भर स्वदेशी उत्पादन है। 2012 में दक्षिण मध्य रेलवे क्षेत्र में मंटट्टी-नवंदगी के बीच 8 किमी क्षेत्र में इसका परीक्षण किया गया था। कवच प्रणाली को 2018-19 में अंतिम स्वीकृति मिली थी।

18 माह में कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा

अब कवच प्रणाली को दक्षिण-पश्चिम रेलवे जोन के रेलवे स्टेशनों पर दो चरणों में लागू करने की योजना है। पहले चरण की परियोजना के लिए 2020 में अनुमानित 468 करोड़ रुपए लागत की योजना को मंजूरी दी गई थी। वर्ष 2024 में डीपीआर तैयार होने के बाद परियोजना लागत में वृद्धि के कारण अनुमानित 600 करोड़ रुपए की निविदा आमंत्रित की गई तथा इस वर्ष जनवरी में कार्यादेश दिया गया, जिसमें 18 माह में कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

इंजनों पर लगाए जा रहे कनेक्टिंग डिवाइस

कवच प्रणाली के पूरक तौर पर रेल इंजनों पर कनेक्टिंग डिवाइस लगाए जा रहे हैं। देश में लगभग 10,000 इंजनों को पुन:स्थापित करने की योजना है। पहले चरण में दक्षिण-पश्चिम रेलवे जोन में लगभग 299 इंजनों को लगाए जाएंगे तथा अन्य 355 इंजनों के लिए प्रस्ताव सौंपा गया है।

176 रेलवे स्टेशनों पर कवच प्रणाली

प्रथम चरण में लगभग 1,568 किमी. ओएफसी केबल और आरएफआईडी स्थापना का कार्य किया जा रहा है, तथा लगभग 176 रेलवे स्टेशनों पर कवच प्रणाली स्थापित की जा रही है। दूसरे चरण में लगभग 2,124 किमी क्षेत्र में अनुमानित 1,144.60 करोड़ रुपए की लागत में कवच लगाए जाएंगे। 155 रेलवे स्टेशनों पर कवच की स्थापना के लिए प्रस्ताव सौंपा गया है, जिनमें बेंगलूरु मंडल में 32, मैसूर मंडल में 52 और हुब्बल्ली में 71 स्टेशन शामिल हैं। हुब्बल्ली मंडल में 866 किलोमीटर पर अनुमानित 459.41 करोड़ रुपए की लागत पर प्रणाली के लिए योजना बनाई गई है। बेंगलूरु मंडल में 440 किमी के लिए अनुमानित लागत 248.8 करोड़ रुपए तथा मैसूर मंडल में 806 किमी के लिए अनुमानित लागत 436.39 करोड़ रुपए लागत में प्रभावी कवच प्रणाली को क्रियान्वित करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए अभी डीपीआर तैयार किया जाना बाकी है।

रेल दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा

कवच के कार्यान्वयन से मुख्य रूप से लोको पायलटों पर दबाव कम होगा। मुख्यत:, रेल दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा। जीवन की हानि रोकी जा सकती है। रेल यातायात की क्षमता भी बढ़ेगी।
-डॉ. मंजुनाथ कनमरडी, मुख्य संपर्क अधिकारी, दक्षिण पश्चिम रेलवे

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