बेलगावी. एक इतालवी दम्पति ने सोमवार को शहर के स्वामी विवेकानंद सेवा प्रतिष्ठान के गंगम्मा चिक्कुम्बी मठ बाल कल्याण केंद्र से एक दिव्यांग बच्चे को गोद लिया।
इटली के फ्लोरेंस निवासी कोस्तान्जा और बुजार डेडे दम्पति ने बच्चे को गोद लिया है।
इस दम्पति की कोई संतान नहीं है। कोस्तान्जा इतालवी सरकारी अस्पताल में फिजियोथेरेपी डॉक्टर हैं, जबकि बुजार डेडे एक दुर्घटना में विकलांग हुए हैं। वे उनकी तरह दुर्घटनाओं में अपने पैर खोने वालों को प्रशिक्षण देते हैं।
गोद लिए गए ढाई साल के बच्चे का नाम आनंद रखा गया है। यह बच्चा समय से पहले पैदा हुआ था। तब इसका वजन मात्र 1.3 किलोग्राम था। वह दृष्टि दोष सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहा हैं। जिला बाल संरक्षण इकाई ने बच्चे को बचाया, जिसे उसके माता-पिता ने छोड़ दिया था। ढाई साल से गंगम्मा चिक्कुम्बी मठ बाल कल्याण केंद्र में बच्चे की परवरीश की गई।
बाल कल्याण केंद्र की अध्यक्ष डॉ. मनीषा भांडनकर ने कहा कि अभिभावक ध्यान से सोच-विचार कर केवल स्वस्थ बच्चा ही गोद लेते हैं। वे सोचते हैं कि बच्चा उनके भविष्य का सहारा बनेगा परन्तु कोस्तान्जा और बुजार डेडे दम्पति एक विकलांग बच्चे को नया जीवन देने आए हैं। वे बच्चे नहीं होने की शिकायत करने के बजाए विकलांग बच्चे को पालने के लिए आगे आए हैं, जो सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि इस दम्पति ने छह वर्ष पहले गोद लेने के लिए आवेदन किया था। कारा (केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण) के नियमों के अनुसार सभी चीजों की जांच, साक्षात्कार और समीक्षा के बाद बच्चे को गोद दिया गया। बच्चे को मंगलवार (18 फरवरी) को जिलाधिकारी की मौजूदगी में सौंपा गया।
अब तक इस केन्द्र से 120 बच्चों को गोद लिया जा चुका है। इनमें से 13 बच्चों को विदेशी अभिभावकों ने गोद लिया है।