जेनेसिस इंटरनेशनल ने प्राप्त की निविदा
हुब्बल्ली. हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम निगम की संपत्तियों की सटीक पहचान करने और उनसे उचित कर वसूलने के लिए 3डी भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) सर्वेक्षण कराने के लिए नगर निगम ने फैसला किया है।
सर्वेक्षण के लिए 23.5 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। मुंबई स्थित जेनेसिस इंटरनेशनल ने निविदा प्राप्त की है। नगर निगम ने सर्वेक्षण कार्य के लिए पहले ही कार्य आदेश जारी कर दिया है।
वर्तमान में नगर निगम के संपत्ति कर के दायरे में आधिकारिक तौर पर 3.39 लाख संपत्तियां हैं परन्तु पानी कनेक्शन और हेस्कॉम से बिजली कनेक्शन पर आधारित कुल 4.50 लाख संपत्तियां होने का अनुमान है।
सेंसर युक्त विमान से होगा हवाई सर्वेक्षण
नगर निगम के उपायुक्त (विकास) विजयकुमार ने कहा कि निविदा प्राप्त करने वाली कंपनी के कर्मचारियों ने पहले ही दस्तावेज, डेटा एकत्र करना और विभिन्न विभागों के अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करना शुरू कर दिया है। इसके बाद सेंसर युक्त विमान का उपयोग करके हवाई सर्वेक्षण किया जाएगा। अगले 15 दिनों में विमान दोनों शहरों के ऊपर उड़ान भरेंगे और सर्वेक्षण करेंगे। छोटी गलियों में स्थित संपत्तियों को दोपहिया वाहनों तथा चौड़ी सडक़ों पर स्थित संपत्तियों को 3डी पैनोरमा व्यू सेंसरों का उपयोग करके स्कॉर्पियो और बोलेरो जैसे वाहनों के जरिए कैप्चर किया जाएगा। इसके बाद जुड़वां शहरों का 3डी मॉडल तैयार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जीआईएस तकनीकी टीम और नगर निगम कर्मचारी जुड़वां शहरों के प्रत्येक घर का दौरा कर संपत्ति का प्रकार, मालिक का नाम, मोबाइल नंबर और अन्य जानकारी मोबाइल ऐप पर दर्ज करेंगे। स्मार्ट सिटी के आई-सीसीसी भवन में जीआईएस सर्वे कार्यालय खोला जाएगा।
महनगर निगम का राजस्व बढ़ेगा
विजयकुमार ने कहा कि मैसूर महानगर निगम सालाना 240 करोड़ रुपए संपत्ति कर एकत्र करता है परन्तु राज्य में दूसरे सबसे बड़े शहर का खिताब रखने वाला हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम संपत्ति कर संग्रह में मैसूर से पीछे है। सर्वेक्षण से बिना कर चुकाए संपत्ति का उपयोग करने, सही जानकारी दिए बिना कम कर चुकाने तथा अन्य अनियमितताओं का पता लगाया जाएगा। इससे महनगर निगम का राजस्व बढ़ेगा।
समीक्षा समिति बनानी चाहिए
जीआईएस सर्वेक्षण के माध्यम से नगर निगम का वित्तीय सशक्तिकरण संभव है। सर्वेक्षण कार्य की हर स्तर पर समीक्षा करनी चाहिए। सारा काम अधिकारियों पर छोडऩे के बजाय समीक्षा समिति बनानी चाहिए।
-ईरेश अंचटगेरी, पार्षद, हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम
विकास की असमानताओं को दूर करने में मिलेगी मदद
विजयकुमार ने कहा कि जीआईएस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य संपत्ति कर संग्रह है। इससे नगर निगम के भीतर विकास की असमानता को दूर करने में भी मदद मिलेगी। सर्वे पूरा होने के बाद एक क्लिक पर पता चल सकेगा कि किस वार्ड में कौन सी बिल्डिंग, मुख्य सडक़, अंदरूनी सडक़, बिजली का खंभा, उद्यान, कब्रिस्तान, झुग्गी-झोपड़ी कितनी हैं, सडक़-नाली की मरम्मत कब हुई।
उन्होंने कहा कि अनुदान आवंटित करते समय उसे एक जगह ही आवंटित करने से बचा जा सकता है। वार्ड स्तर पर भी बैठकें आयोजित कर नगर निगम के पार्षदों को इस संबंध में जानकारी दी जाएगी। यदि वार्डों में अधिक कर संग्रह होगा तो विकास कार्य कराना संभव हो सकेगा।
पहली बार 3डी जीआईएस सर्वेक्षण
अधिकारियों ने बताया कि राज्य में यह पहली बार है कि हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम में संपत्तियों का 3डी जीआईएस सर्वेक्षण किया जा रहा है। बेंगलूरु में बीबीएमपी के एक वार्ड में प्रयोगात्मक तौर पर 2डी सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण कार्य 15 माह में पूरा हो जाएगा। निविदा प्राप्त करने वाली जेनेसिस कंपनी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है। कंपनी पहले ही दुबई लैंड मैपिंग और वाराणसी की 3डी डिजिटल मैपिंग कर चुकी है। कंपनी ने 3डी जीआईएस सर्वेक्षण में वैश्विक स्तर पर नाम कमाया है और उसके पास लिडार सेंसर से लैस चार विमान हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, महानगर निगम का क्षेत्रफल 202 वर्ग किलोमीटर है परन्तु हुडा (हुब्बल्ली-धारवाड़ शहरी विकास प्राधिकरण) के अनुसार 400 वर्ग किमी है। सर्वेक्षण पूरा होने के बाद नगर निगम के अधिकार क्षेत्र के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी।