हर दिन बदला जाता है जलहस्ती के कुंड का पानी
मेंगलूरु. मार्च के महीने में गर्मी का प्रकोप तेज हो गया है और “हीट वेव” का असर जानवरों पर भी पड़ा है। विशेषकर पिलिकुला जैविक उद्यान में पशु-पक्षी कष्ट में हैं। इसलिए, चिडिय़ाघर के कर्मचारी जल सिंचन के जरिए जानवरों को चिलचिलाती धूप से बचाने का काम कर रहे हैं।
पिलिकुला को फल्गुनी नदी पर बने अद्यपाडी बांध से शुद्ध पानी की आपूर्ति की जाती है। नगर निगम के पच्चनाडी एसटीपी से पौधों और पेड़ों के लिए जल आपूर्ति प्रणाली है परन्तु एसटीपी का उचित रखरखाव नहीं होने के कारण समस्या उत्पन्न हो रही है और पिलिकुला टीटीपी में शुद्धिकरण के बाद ही प्लांटों को पानी की आपूर्ति की जा रही है। पीने के पानी के लिए दो बोरवेल भी हैं।
कुडों को जल आपूर्ति
यद्यपि पिलिकुला में बहुत सारे पेड़ हैं, फिर भी यहां गर्मी शहर जितनी ही तीव्र है। इसके चलते जानवरों को कष्ट हो रहा है। विशेष रूप से बाघ, शेर, तेंदुए और भालू जैसे बड़े जानवरों के लिए कष्टकारी है। इसके चलते पशुओं के लिए आरक्षित जल कुंडों में अधिक पानी की आपूर्ति की जा रही है।
जानवरों के लिए शावर स्नान
जहां पशु और पक्षी रहते हैं उन क्षेत्रों में स्प्रिंकलर लगाए गए हैं। इसे कुछ समय तक चलाया जा रहा है। जानवर बहते पानी के नीचे खड़े होकर अपने शरीर को ठंडा करते हैं। जलहस्ती (हिप्पोपोटम) के कुंड का पानी हर दिन बदला जाता है।
घोंसलों के लिए पंखा
घोंसले में रहने वाले जानवरों को अधिक गर्मी से बचाने के लिए घोंसले के बाहर पेडस्टल पंखे लगाए गए हैं। इसके अलावा, विशेष रूप से बाघों के मांद और अजगर प्रजनन केंद्र में भी पंखे लगाए गए हैं। आने वाले दिनों में कूलर लगाने पर विचार किया जा रहा है।
प्रणियों को ठंडा रखने के लिए लगाए पंखे और स्प्रिंकलर
पिलिकुला में प्रणियों और पक्षियों के लिए जल आश्रयों की संख्या बढ़ा दी गई है। फाल्गुनी नदी से लगातार पानी की आपूर्ति हो रही है और पानी की मांग बढ़ गई है। हर साल की तरह, प्रणियों को ठंडा रखने के लिए पंखे और स्प्रिंकलर लगाए गए हैं।
–एच. जयप्रकाश भंडारी, निदेशक, पिलिकुला जैविक उद्यान