राज्य में तीन साल में 2069 बाल मजदूरों को संरक्षण
हुब्बल्ली. राज्य में बाल श्रम व्यवस्था पर कोई रोक नहीं लग पाई है। पिछले तीन साल में कर्नाटक में 2069 बाल मजदूरों को संरक्षण दिया गया है।
बाल श्रम एक सामाजिक अभिशाप है। गरीबी समेत कई कारणों से बच्चे बाल मजदूर बनते हैं। सरकार इसे रोकने के लिए कई कदम उठा रही है परन्तु बड़े शहरों में बाल श्रम बड़े पैमाने पर चल रहा है। पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने वाले बच्चे बाल मजदूर के तौर पर काम करते हैं।
वे छोटी-छोटी फैक्ट्रियों, होटलों और दुकानों में बाल मजदूर के तौर पर काम करते हैं। बाल श्रम एक दंडनीय अपराध है। यह चिंताजनक है कि इसके बारे में जागरूकता पैदा करने के बावजूद इस पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है।
बाल श्रम योजना सोसायटी की स्थापना
कर्नाटक राज्य सरकार ने बाल श्रम के संरक्षण के लिए राज्य बाल श्रम पुनर्वास योजना लागू की है। उक्त योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य स्तर पर सरकारी सचिवों, श्रम विभाग की अध्यक्षता में कर्नाटक राज्य बाल श्रम उन्मूलन योजना सोसायटी की स्थापना की गई है और प्रत्येक जिले में जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिला बाल श्रम योजना सोसायटी की स्थापना की गई है।
प्रभावी क्रियान्वयन
विभाग का जवाब है कि बाल एवं किशोर श्रम (निषेध एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1986, नियम-2017 (केन्द्र/कर्नाटक) तथा बाल एवं किशोर श्रम मुक्त जिला घोषित करने के लिए आवश्यक एसओपी (केन्द्र/कर्नाटक) का इन समितियों के माध्यम से प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है।
पिछले तीन वर्षों में 103762 स्थानों का निरीक्षण किया गया है। कुल 2069 बाल मजदूरों को संरक्षण दिया गया है। पकड़े गए 1170 मामलों में से 702 मामले सक्षम न्यायालयों में दर्ज किए गए हैं। 58 मामलों में न्यायालयों में सजा सुनाई गई है। कुल 32,10,000 जुर्माना लगाया गया है।