मेंगलूरु. देश का सबसे बड़ा भूमिगत तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) संयंत्र मेंगलूरु में सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। इस भूमिगत सुरंग में 80 हजार मीट्रिक टन एलपीजी गैस संग्रहित की जा सकती है।
इस कार्य को करने वाली मेघा इंजीनियरिंग के विशेषज्ञों ने बताया कि भूमिगत भंडारण प्रणाली की सुरक्षा की जांच के लिए 9 मई से 6 जून तक कैवर्न एक्सेस टेस्ट-कैट आयोजित किया गया था। केंद्र सरकार ने इसे मेंगलूरु में स्थापित किया है, और विशाखापत्तनम में भी इसी तरह की भूमिगत भंडारण सुविधा है। यह किसी भी आपात स्थिति में देश की गैस की मांग को पूरा करने में मदद करेगी।
मेंगलूरु क्षेत्र में यह तीसरी भूमिगत तेल भंडारण इकाई है। इससे पहले, पेरमुदे में 1.5 लाख मीट्रिक टन और पादूर में 2.5 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल भंडारण क्षमता वाली इकाइयां संचालित हो रही हैं परन्तु यह नई इकाई विशेष रूप से एलपीजी भंडारण के लिए बनाई गई है।
विशाखापत्तनम में एलपीजी भंडारण इकाई की क्षमता 60,000 टन है, जबकि मेंगलूरु की यह इकाई 80,000 मीट्रिक टन की क्षमता के साथ भारत में सबसे बड़ी है।
केंद्र सरकार ने 2018 में इस परियोजना को मंजूरी दी और 2019 में निर्माण कार्य शुरू हुआ। अब से, समुद्र में तैरते हुए बंदरगाह के माध्यम से इस इकाई में एलपीजी पंप की जाएगी। इसके लिए आवश्यक पाइपलाइन निर्माण कार्य भी पूरा हो चुका है। 500 मीटर की गहराई पर एक बड़ी चट्टान को ड्रिल करके इकाई का निर्माण किया गया है। इस परियोजना पर 800 करोड़ रुपए की लागत आई है।