कार्रवाई में लापरवाही
डीडीएलआर कार्यालय में लोकायुक्त पुलिस के छापे में सामने आया मामला
शिवमोग्गा. जिले में अतिक्रमित 1,054 तालाबों को 2015 में खाली कराने का आदेश जारी किया गया था परन्तु संबंधित फाइलें अभी तक डीडीएलआर कार्यालय में ही सड़ रही हैं। इस मामले में नागरिकों की शिकायत के बाद, शिवमोग्गा लोकायुक्त पुलिस ने शनिवार को डीडीएलआर कार्यालय में छापा मारकर जांच की।
जिले के 4,792 तालाबों में से 1,829 पर अवैध कब्जा होने की पहचान की गई थी और इन्हें खाली करने का आदेश दिया गया था। इसमें से केवल 775 तालाब ही अवैध कब्जे से मुक्त किए गए। शेष 1,054 तालाब अभी भी खाली नहीं किए गए हैं। इसके अलावा जिले में 4,547 सरकारी जमीनें भी अवैध कब्जे की स्थिति में हैं।
जांच के दौरान पता चला कि डीडीएलआर कार्यालय के अधिकारी कार्यालय में उपस्थित नहीं थे; कर्मचारी ने बताया कि मैडम बेंगलूरु गई हुई हैं, वह 30 सितंबर से कार्यालय में नहीं आई हैं। सरकारी दस्तावेज कार्यालय में रखने के बजाय अधिकारी के घर में रखे गए पाए गए।
खाली करने की कार्रवाई नहीं की
12 एकड़ क्षेत्र के तालाब में 8 एकड़ पर अवैध कब्जा है। 2015 में कब्जा पहचानकर नक्शांकन किया गया था, लेकिन आज तक कोई खाली करने की कार्रवाई नहीं की गई।
लोकायुक्त के नेतृत्व में छापा
लोकायुक्त न्यायाधीश बी.एस. पाटील के निर्देश पर लोकायुक्त पुलिस उपाधीक्षक बी.पी. चंद्रशेखर की अगुवाई में जांच की गई। यह कार्रवाई केवल डीडीएलआर कार्यालय तक सीमित नहीं रही, बल्कि सात अन्य एडीएलआर कार्यालयों में भी जानकारी जुटाई गई।
तालाबों को खाली करने की कार्रवाई में लंबित देरी, भ्रष्टाचार और लापरवाही उजागर हुई है। 10 साल पहले आदेश जारी होने के बावजूद कई तालाब अब भी जनता के हित के लिए खतरा बने हुए हैं। जांच से यह स्पष्ट हुआ कि अधिकारियों को त्वरित और निर्णायक कदम उठाना आवश्यक है।