कर्मचारियों ने की थी हड़ताल
हुब्बल्ली.
जल बोर्ड ने हुब्बल्ली तथा धारवाड़ में अपनी मांगों को लेकर हड़ताल करने वाले बाहरी संविदा कर्मचारियों का अप्रेल माह का पांच दिन का वेतन काट लिया है।
बोर्ड में बाहरी संविदा के आधार पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को महानगर निगम के कर्मचारियों के तौर पर शुमार करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर कर्मचारियों ने 26 अप्रेल से 2 मई तक ड्यूटी का बहिष्कार कर हड़ताल की थी।
एक कर्मचारी ने नाराजगी जताते हुए बताया कि मांगों को लेकर कई बार जल बोर्ड को ज्ञापन सौंपा है। बोर्ड ने सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। अनिवार्य तौर पर हड़ताल करना पड़ी। हड़ताल के नाम पर जल बोर्ड ने उनका वेतन काट लिया। मई में दो दिन का वेतन काटने की बात कही है। 16 मई तक वेतन के लिए कर्मचारियों तथा जल बोर्ड के बीच खींचतान चल रही थी। प्रतिदिन विनती कर तंग आकर बुधवार को एक घंटा प्रदर्शन किया। इसके बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने शाम को वेतन भुगतान की व्यवस्था की। अब 40 प्रतिशत लोगों को ही वेतन मिला है, बकाया को भी एकाध दिन में वेजन मिलने का अधिकारियों ने आश्वासन दिया है।

तानाशाह बर्ताव
गरीब कर्मचारियों के वेतन में कटौती जल बोर्ड के तानाशाह बर्ताव का सबूत है। कटौती किए गए वेतन का तुरन्त भुगतान करना चाहिए। जलापूर्ति की पूरी जिम्मेदारी 2 मई को एलएण्डटी कंपनी को हस्तांतरित करने से पहले ही हमारी मांगों को शुमार करना चाहिए था। हड़ताल को वापस लेने के बाद भी कर्मचारियों ने कंपनी में कर्तव्य के लिए रिपोर्ट नहीं की है। कर्मचारियों की मांग को लेकर 17 मई को महानगर निगम आयुक्त के साथ आयोजित संघ के पदाधिकारियों की बैठक रद्द हुई है। शीघ्र ही एक और बैठक के लिए दिन निर्धारित किया जाएगा। मैसूरु की तर्ज पर यहां के कर्मचारियों को भी महानगर निगम कर्मचारी शुमार कर, महानगर निगम की ओर से ही बेचन का भुगतान करने तक कार्य के लिए रिपोर्ट नहीं करेंगे।
वीएन. हलकट्टी, अध्यक्ष, कर्नाटक शहरी जलापूर्ति एवं भूमिगत मलजल निकासी बोर्ड कर्मचारी संघ

हस्तांतरण प्रक्रिया चल रही है
कोई भी हो कर्तव्य का बहिष्कार कर हड़ताल करने पर उस अवधी के वेतन में कटौती की जाएगी। जल बोर्ड कर्मचारियों को कंपनी को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया चल रही है।
डॉ. गोपालकृष्ण बी., आयुक्त, हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम

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