कर्नाटक का पहला फाइलेरिया मुक्त जिला बना उडुपीकर्नाटक का पहला फाइलेरिया मुक्त जिला बना उडुपी

विश्व स्वास्थ्य संगठन से अनुमोदन की प्रतीक्षा
हुब्बल्ली. उडुपी जिले को कर्नाटक का पहला फाइलेरिया रोग मुक्त जिला होने का गौरव प्राप्त हुआ है। केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी बाकी है। इस बीच, प्रवासी श्रमिकों में कुछ मामले पाए गए हैं और उचित उपचार दिया जा रहा है।
जिले में प्रवासी श्रमिकों के जरिए 4 जनवरी, 3 अप्रेल, 14 मई और जून में 14 मामले पाए गए हैं। इनमें से अधिकतर मामले बिहार के निर्माण श्रमिकों के हैं जबकि बाकी झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश के हैं। इन सभी को स्वास्थ्य विभाग की ओर से उचित उपचार दिया जा चुका है। जिले में अभी किसी को भी नए से यह बीमारी नहीं पाई गई है।

रोग के लक्षण
यह कोई संक्रामक रोग नहीं है। एलिफेंटियासिस क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है। फाइलेरिया कीड़े से पीडि़त व्यक्ति को क्यूलेक्स मच्छर के काटतने पर रक्त में मौजूत कीड़ा मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो कीड़ा उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है। जिस व्यक्ति को काटा गया हो उसे फाइलेरिया विकसित होने में कम से कम 3 से 10 साल लग सकते हैं। व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने वाला कीड़ा लिम्फ नोड्स में जमा हो जाता है, रक्त संचार न होने से शरीर का अगला भाग पूरी तरह से फूलने लगता है। यदि व्यक्ति के शरीर के अंदर के कीड़े मर भी जाएं तो भी शरीर में सूजन बनी रहती है। पैर, हाथ, छाती में सूजन आ जाती है।

फाइलेरिया से कैसे छुटकारा पाएं?
केंद्र सरकार ने 2004 में फाइलेरिया को पूरी तरह से खत्म करने के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की शुरुआत की। तब जिले के सभी लोगों को एलेंडाजोल और डीईसी की गोलियां अनिवार्य रूप से दी गईं। सर्वेक्षण आयोजित कर प्रसार का मूल्यांकन किया गया। स्कूली बच्चों के रक्त नमूनों की जांच की गई। इसके अलावा, क्यूलेक्स मच्छरों की एक विशिष्ट वैज्ञानिक उपकरण के माध्यम से जांच करउनके अंदर कीड़ा हैं या नहीं इसका पता लगाया गया था।

फिलहाल रोग के कोई लक्षण नहीं
जिले को आधिकारिक तौर पर फाइलेरिया मुक्त घोषित करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी आवश्यक है। सभी संबंधित दस्तावेज विश्व स्वास्थ्य संगठन को पहले ही भेजे जा चुके हैं। तीन साल कराए गए सर्वे में भी जिला पास हो गया है और 2014 के बाद से जिले के लोगों में कोई बीमारी सामने नहीं आई है।
डॉ प्रशांत भट्ट, जिला रोग नियंत्रण पदाधिकारी, उडुपी

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