प्रदेश में भी देसी गाय को "राज्यमाता" का दर्जा दिलाने की मांगप्रदेश में भी देसी गाय को "राज्यमाता" का दर्जा दिलाने की मांग

देशी गायों की लगभग 31 नस्लें ही बची हैं
हुब्बल्ली. महाराष्ट्र सरकार की ओर से देसी गाय को राज्यमाता का दर्जा देकर किसानों के लिए प्रोत्साहन राशि की घोषणा करने के बाद, कर्नाटक में भी इसी तरह की घोषणा की मांग उठने लगी है। पहले देश में सैकड़ों देसी नस्ल की गायें थीं।
कहा जा रहा है कि अब देशी गायों की लगभग 31 नस्लें ही बची हैं। इन्हें बचाए रखने के लिए यह उपाय पूरक होगा।
देसी गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग दशकों पुरानी है। अब तक यह संभव नहीं हो सका है परन्तु महाराष्ट्र सरकार ने देसी गाय पालने वाले किसानों को “राज्यमाता” का दर्जा दिया है। साथ ही, जर्सी और एचएफ गायों के प्रचार में जो देसी गायें परदे के पीछे चली गई थीं, उन्हें फिर से महत्व मिलेगा।

किसानों को सशक्तिकरण
देसी गाय पालन को प्रोत्साहित करने के लिए, महाराष्ट्र सरकार प्रति गाय प्रति दिन 1,500 रुपए की प्रोत्साहन राशि देने के लिए आगे आई है, जो किसानों को सशक्तिकरण प्रदान करेगी। इस समय देसी गाय का दूध 100-110 रुपए प्रति लीटर और घी 2,200-3,500 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।
जैविक खेती में भी देसी गायों का योगदान अहम है। दूसरी ओर, कर्नाटक और महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्यों में जर्सियों की संख्या उम्मीद से ज्यादा बढ़ गई है। केएमएफ सहित किसी भी डेयरी से आने वाला अधिकांश दूध जर्सी गायों से आता है।

कनेरीमठ का योगदान
इस बीच देसी गायों के संरक्षण के लिए महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्थित कनेरीमठ का काम अहम है। महाराष्ट्र सरकार की राज्यमाता घोषणा में भी श्रीमठ का प्रभाव है। श्रीमठ में लगभग 22-23 नस्लों की 1,500 से अधिक देसी गायें हैं। श्रीमठ हर साल “गो परिक्रमा यात्रा” आयोजित करता है, जिसने कर्नाटक के कोल्हापुर जिले के कई गांवों को प्रभावित किया है। कोल्हापुर जिले में देसी गायों की संख्या करीब 3-4 लाख बढ़ गई है। वहां के पशुपालन विभाग की ओर से कराए गए सर्वे में इसका पता चला है।

इसे राज्य में भी लागू किया जाए
कर्नाटक में संघ परिवार, कई मठ, संघ-संस्थाएं गौशालाओं के माध्यम से देसी गायों का पालन कर रहे हैं और किसान धीरे-धीरे गांवों में भी देसी गायों को पालना शुरू कर रहे हैं। देसी गायों की रक्षा के लिए कर्नाटक में भी राज्य सरकार महाराष्ट्र की तर्ज पर देसी गाय को “राज्यमाता” की उपाधि देकर उन्हें पालने वाले किसानों को सब्सिडी देने की मांग की गई है।

देसी गायें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

देसी गायों के संरक्षण की दिशा में महाराष्ट्र सरकार की ओर से उठाए गए कदम उत्साहवर्धक हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भी देसी गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग जोरों पर है। अगर केंद्र सरकार इसे शुरू करे तो इससे और अधिक खुशी होगी। स्वास्थ्य, पर्यावरण और जैविक खेती के मामले में देसी गायें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अदृश्य काडसिद्धेश्वर स्वामी, कनेरीमठ

केवल देसी गायों को ही अनुमति

महाराष्ट्र सरकार ने देसी गायों को राज्यमाता का दर्जा दिया है, जो एक अच्छा घटनाक्रम है। विश्व हिंदू परिषद की गोरक्ष शाखा सरकार से कर्नाटक में भी ऐसी घोषणा करने का आग्रह करेगी। उत्तर कर्नाटक में चार या पांच स्थानों पर गौशालाएं संचालित हैं, जिनमें केवल देसी गायों को ही अनुमति दी जा रही है।
गोवर्धन राव, विहिप उत्तर प्रदेश प्रमुख

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *