प्रति वर्ष अध्ययन के लिए चाहिए 20 शव
फिलहाल मात्र छह उपलब्ध
गहन अध्ययन और अनुसंधान में बाधा
बल्लारी. बल्लारी मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च सेंटर (बीएमसीआरसी-विम्स) में छात्रों को शरीररचना विज्ञान पढ़ाने के लिए शवों की कमी सता रही है।
छात्रों की संख्या के अनुरूप पर्याप्त संख्या में शव नहीं होने से समस्या हुई है।
भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमसी) के नियमों के अनुसार, अध्ययन और अनुसंधान के उद्देश्य से प्रत्येक 10 एमबीबीएस छात्रों के लिए कम से कम एक शव की आवश्यकता होती है परन्तु विम्स में उपलब्ध शवों की संख्या केवल 6 है।
विम्स के एक चिकित्सक का कहना है कि विम्स में हर साल 200 छात्र एमबीबीएस के लिए प्रवेश लेते हैं। बदले में, अध्ययन के लिए कम से कम 20 शव होने चाहिए थे परन्तु वर्तमान में केवल छह शव ही मौजूद हैं। 14 शवों की जरूरत है। इससे गहन अध्ययन और अनुसंधान में बाधा आ रही है।
उन्होंने कहा कि एमबीबीएस छात्रों के लिए शरीर रचना विज्ञान का अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण है। मानव शरीर के प्रत्येक भाग के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है, उसकी व्याख्या की जाती है। शवों की कमी होगी तो इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा। सरकारों को भी इसे गंभीरता से लेना चाहिए। दानदाताओं को आगे आकर अपना शरीर दान करने का संकल्प लेना चाहिए।
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 2022 में एक, 2023 में दो और 2024 में दो समेत इन तीन वर्षों में विम्स को कुल पांच शव प्राप्त हुए हैं।
हर जगह कमी
राज्य में शवों की भारी कमी का सामना करने वाले चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में विम्स दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर कोडगु मेडिकल इंस्टीट्यूट है। वहां 15 शवों की कमी है। गदग में 10, बीदर, चिक्कबल्लापुर और हावेरी में 9-9, हासन और चिक्कमगलूरु में 7 तथा कोप्पल मेडिकल इंस्टीट्यूट में 6 शवों की कमी है।
अंगदान में बल्लारी अग्रणी
डॉक्टरों का कहना है कि अंगदान में बल्लारी देश का अग्रणी जिला है। बल्लारी के नागरिकों ने 7,839 प्रकार के अंग दान करने का संकल्प लिया है। शरीर दान के मामले में भी यही चिंता दिखाने की जरूरत है।
शरीर दान को आगे आएं लोग
मेडिकल छात्रों को शरीर रचना विज्ञान सीखने के लिए शवों की आवश्यकता होती है। दानदाताओं को अपना शरीर दान करने पर विचार करना चाहिए। अपना शरीर दान करने का संकल्प लेने वालों की मृत्यु होने पर उसके परिवार को संस्था को सूचित करना चाहिए। कई बार मौतों के बारे में जानकारी नहीं देने के उदाहरण भी हैं। कभी-कभी परिवार के सदस्य और रिश्तेदारों के इसे अस्वीकार करने के मामले भी हुए हैंैं। इस बारे में वैज्ञानिक सोच जरूरी है।
–डॉ. रवींद्र पाटिल, प्रमुख, शरीर रचना विज्ञान विभाग, विम्स
3डी प्रौद्योगिकी का उपयोग
शवों की कमी के कारण, संस्था 3डी प्रौद्योगिकी आधारित प्रतिनिधि सिमुलेटर का उपयोग करके शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
–डॉ. गंगाधर गौड़ा, निदेशक, विम्स