स्कूल की सीढिय़ां चढऩे का नहीं मिला मौका
राज्य सरकार उपलब्ध कराया पिछले 5 शैक्षणिक वर्षों का आंकड़ा
2021-22 में 8476 और 2022-23 में 14,861 बच्चे स्कूल से रहे बाहर
हुब्बल्ली. हमारे देश में शिक्षा एक मौलिक अधिकार है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21(ए) में उल्लेख किया गया है कि 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को मौलिक अधिकार के रूप में नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाएगी।
इसके चलते कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। अनुच्छेद 21(ए) के अनुसार प्रत्येक बच्चे को शिक्षा का अधिकार है परन्तु कर्नाटक में 12,067 बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिला है। हां, बहुत सारे बच्चों को स्कूल जाने का अवसर नहीं मिला है। उन्हें यह सुविधा मिलने पर भी वे स्कूल में अपनी शिक्षा जारी नहीं रखकर पढ़ाई छोड़ दी है।
शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 शैक्षणिक वर्षों में 12,067 बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं। वर्ष 2021-22 में 8,476 बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया परन्तु इनमें से 4128 बच्चों को स्कूल की मुख्यधारा में लाया गया है।
वर्ष 2022-23 में 14,861 बच्चे स्कूल से बाहर थे। इनमें से 11,707 बच्चों को स्कूल की मुख्यधारा में लाया गया है। 2023-24 में 9461 बच्चे स्कूल छोड़ा था, जबकि 8131 बच्चे मुख्यधारा में लौट आए हैं। 2024-25 में 9422 बच्चे स्कूल से बाहर थेे। इनमें से 6187 बच्चों को मुख्यधारा में लाया गया है।
मुख्यधारा में लाने के लिए किए गए प्रयास
सरकार और शिक्षा विभाग सर्वेक्षणों के माध्यम से स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की पहचान करने और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए विभिन्न प्रयास कर रहे हैं। छात्रों के घर-घर जाकर उन्हें स्कूल में दाखिला लेने के लिए मनाने का प्रयास किया जा रहा है। गरीबी सहित विभिन्न कारणों से बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। कोविड-19 लॉकडाउन के कारण बच्चों की शिक्षा में भी बड़ा व्यवधान उत्पन्न हुआ था। उस समय गरीबी के कारण कई बच्चे स्कूल छोड़ चुके थे। शिक्षा विभाग की ओर से उन्हें वापस स्कूल लाने के प्रयास किए गए परन्तु कई मामलों में सफल नहीं मिल पाई। इस संबंध में और प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।