
कांग्रेस ने लगाया आरोप
हुब्बल्ली. प्रदेश कांग्रेस प्रचार समिति के संयोजक वसंत लदवा ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना का विरोध सिर्फ भाजपा ही कर रही है। इसका खुद ही सफाई देने के साथ अपने राजनीतिक पाखंड का पर्दाफाश किया है।
इस बारे में पत्रिका से बातचीत करते हुए लदवा ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2010 में सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना के लिए संसद में एक विधेयक पेश कर पारित किया था। कांग्रेस सरकार के सभी सदस्यों ने बिना किसी विरोध के सर्वसम्मति से इसका समर्थन किया था। उस दिन भाजपा ने विरोध किया था और भाजपा इसे छिपाकर सच्चाई से कोसों दूर बयान देकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
भाजपा ने जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 2011 में सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना कराई और उसके बाद जातिगत जनगणना अधिकारियों ने 3 मार्च 2015 को सरकार को ब्योरा सौंपा था परन्तु तत्कालीन सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने इन विवरणों को सार्वजनिक नहीं किया और जनगणना के मूल उद्देश्य का विरोध किया। इस तरह के वास्तविक और सही तथ्यों को छिपाकर भाजपा राजनीतिक बयान दे रही है।
वसंत ने कहा कि कांग्रेस सरकार की ओर से कराई गई 2011 की जातिगत जनगणना का विवरण अभी भी भाजपा सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया गया है। कांग्रेस अभी भी 2021 में इसी तरह की जनगणना की मांग कर रही है इसके बावजूद भाजपा जातिगत जनगणना का विरोध कर रही है। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह जातिगत जनगणना नहीं कराएगी। इसने 21 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा पेश कर कहा है कि यह संभव नहीं है।
उन्होंने भाजपा से सवाल किया कि देश में 90 वर्ष पूर्व 1931 में ब्रिटिश सरकार के समय में जातिवार जनगणना संभव थी, 2011 में कांग्रेस सरकार के समय संभव थी, तो भाजपा सरकार सुविधाएं होते हुए भी 2021 में जनगणना क्यों नहीं कर रही है? इस बारे में भाजपा को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य-देश की आमजनता के लिए, सुविधा वंचितों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के आकार और दायरे को निर्धारित करने के लिए जनगणना और आयोग की रिपोर्ट के आंकड़े आवश्यक और महत्वपूर्ण आधार हैं परन्तु भाजपा सरकार ने 2011 की जनगणना के विवरण का खुलासा नहीं किया, इसी तरह 2021 की जनगणना में विस्तृत डेटा शामिल नहीं किया, और राज्य में 2014-15 की सर्वेक्षण रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया। इस प्रकार देश के करोड़ों लोगों को कल्याणकारी कार्यक्रमों से वंचित करने के लिए केवल भाजपा ही जिम्मेदार है।
आरक्षण निर्धारण
वसंत ने कहा कि 2014-15 में, राज्य में कांग्रेस सरकार के दौरान, तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने वंचितों के लिए उचित आरक्षण निर्धारित करने के लिए 169 करोड़ रुपए की लागत से सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। अप्रेल-मई में करीब एक करोड़ 40 लाख घरों का रुबरु दौरा कर जानकारियां जुटाने का बड़ा काम किया था। सर्वे का करीब 95 फीसदी काम पूरा हो चुका था परन्तु प्रदेश में सत्ता में आई भाजपा सरकार ने आयोग की ओर से कराए गए सर्वे रिपोर्ट में खुलासा नहीं करने के जरिए सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को कल्याणकारी योजनाओं से वंचित किया है।