‘धारवाड़ी भैंस’ नस्ल को 2021 में मिली राष्ट्रीय मान्यताधारवाड़ी भैंस।

संवर्धन के लिए नहीं उठाया कदम

हुब्बल्ली. विशेष नस्ल की ‘धारवाड़ी भैंस’ को 2021 में ही राष्ट्रीय मान्यता मिल गई थी, परन्तु इस नस्ल के संवर्धन के लिए सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त राज्य की पहली भैंस की नस्ल

नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पशुपालन विभाग ने 2021 में हुई बैठक में ‘धारवाड़ी नस्ल’ की भैंस को ‘इंडिया बफेलो-0800-धारवाड़ी-01018’ के रूप में नस्ल प्रवेश संख्या प्रदान की है। यह राज्य की पहली भैंस की नस्ल है जिसे राष्ट्रीय मान्यता मिली और यह देश की 18 मान्यता प्राप्त भैंस नस्लों की सूची में शामिल हुई।

किसानों और दुग्ध उत्पादकों में नाराजगी

देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नस्ल के पशुओं के संरक्षण और विकास के लिए संवर्धन केंद्र मौजूद हैं। धारवाड़ के पास तेगूर में मुर्रा और सुर्ती नस्ल की भैंसों का संवर्धन चल रहा है। विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी कृष्णा वैली गायों का भी संरक्षण किया जा रहा है परन्तु स्थानीय धारवाड़ी नस्ल के लिए अब तक कोई संवर्धन केंद्र स्थापित न होने से किसानों और दुग्ध उत्पादकों में नाराजगी है।

विभिन्न पहलुओं पर शोध करना चाहिए

कृषि विश्वविद्यालय के पशु विज्ञान विभाग के प्रयास से शुद्ध नस्ल की धारवाड़ी भैंस को राष्ट्रीय मान्यता मिली, परन्तु संवर्धन के लिए आवश्यक पहल नहीं हो सकी। इस नस्ल की 200 उत्कृष्ट भैंसों को पशुपालकों से खरीदकर फार्म में संरक्षित करना चाहिए और दो वर्षों तक दूध उत्पादन सहित विभिन्न पहलुओं पर शोध करना चाहिए। साथ ही इन भैंसों से जन्मे बछड़ों का वीर्य लेकर कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से नस्ल का विकास करना चाहिए।
वी.एस. कुलकर्णी, सेवानिवृत्त प्राध्यापक, कृषि विश्वविद्यालय

इसके लिए अलग विभाग

धारवाड़ी नस्ल का संवर्धन पशुपालन विभाग के दायरे में नहीं आता, इसके लिए अलग विभाग है।
डॉ. सदाशिव उप्पार, उपनिदेशक, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग

अनुदान मिलने पर काम आसान होगा

शिक्षण उद्देश्य के लिए 12 भैंसें पाली जा रही हैं और नस्ल संवर्धन के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा, अनुदान मिलने पर काम आसान होगा।
डॉ. अनिल कुमार जी.के., प्रमुख, पशु विज्ञान विभाग, कृषि विश्वविद्यालय, धारवाड़

सब्सिडी दर पर यह भैंस उपलब्ध कराए

सरकार धारवाड़ी नस्ल के विकास के लिए जल्द कदम उठाए और किसानों को सब्सिडी दर पर यह भैंस उपलब्ध कराए।
वीरेश सोबरदमठ, किसान नेता

दूध उत्पादन ‘सुर्ती’ नस्ल के बराबर

कृषि विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राध्यापक वी.एस. कुलकर्णी ने बताया कि 2021 के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर कर्नाटक के 14 जिलों में ‘धारवाड़ी नस्ल’ की भैंसों की संख्या 12.05 लाख है। यह भैंस अपने जीवनकाल में पांच से अधिक बार बछड़ा देती है और 10 महीनों में औसतन 970 लीटर दूध देती है। अच्छी देखभाल पर इसका दूध उत्पादन ‘सुर्ती’ नस्ल के बराबर (1200 लीटर) तक हो सकता है। इस भैंस के दूध में लगभग 7 प्रतिशत वसा होती है, जो धारवाड़ पेड़ा, बेलगावी कुंदा, जमखंडी कली पेड़ा, गोकाक और अमीनगढ़ करदंट जैसे मिठाइयों में उपयोग होती है।

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