पुराने विश्वविद्यालयों से कर्मचारियों का आवंटन नहीं
उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं छात्र
कलबुर्गी. शैक्षिक रूप से पिछड़े कल्याण कर्नाटक के हिस्से में, राज्य सरकार ने 2017 में रायचूर विश्वविद्यालय और पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल के अंतिम समय में कोप्पल और बीदर विश्वविद्यालय बनाने का आदेश जारी किया है।

इनमें अभी भी शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी, अच्छी तरह से सुसज्जित भवन, नए कोर्स नहीं होने से छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

चार दशक पहले, कल्याण कर्नाटक के एकमात्र विश्वविद्यालय के तौर पर गुलबर्गा विश्वविद्यालय शुरू किया। उसके बाद केवल अनुसंधान गतिविधियों के लिए हम्पी कन्नड़ विश्वविद्यालय के शुरू करने के बावजूद स्नातक महाविद्यालयों की संरचना नहीं थी। इसके तहत गुलबर्गा विश्वविद्यालय ने ही चार दशकों में कल्याण कर्नाटक के हजारों कॉलेजों से संबद्धता थी। बल्लारी के श्रीकृष्ण देवराय विश्वविद्यालय और रायचूर विश्वविद्यालय शुरू होने के बाद गुलबर्गा विश्वविद्यालय का दायरा कम होने लगा। हाल ही में कोप्पल और बीदर विश्वविद्यालय शुरू होने से गुलबर्गा विश्वविद्यालय का दायरा केवल कलबुर्गी जिले तक ही सीमित रह गया है।

स्नातकोत्तर केंद्रों के प्रारूप में ही काम कर रहे

शिक्षण प्रेमियों का कहना है कि गुलबर्गा विश्वविद्यालय में 70 फीसदी स्थायी शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की कमी है। सरकारों से नए पद उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए अभी कोई मंजूरी नहीं मिली है। इन सबके बीच, नए से शुरू किए गए विश्वविद्यालय केवल नाम के लिए विश्वविद्यालय हैं और अभी भी स्नातकोत्तर केंद्रों के प्रारूप में ही काम कर रहे हैं।

कोप्पल विश्वविद्यालय जिले के कुकनूर तालुक के तलकल में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन में और बीदर विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर केंद्र के भवन में पिछले सात महीनों से कार्य कर रहे हैं।

कुलसचिव नहीं

विश्वविद्यालय के दैनिक प्रशासन को संचालित करने वाले प्रशासनिक कुलसचिव को अभी तक नियुक्त नहीं किया गया है। कुलपति एवं मूल्यांकन कुलपति की नियुक्ति मात्र हुई है। बीदर और कोप्पल विश्वविद्यालय को मूल विश्वविद्यालय में संबंधित जिले के कॉलेजों की संबद्धता दी गई है। परीक्षा एवं मूल्यांकन कार्य मूल विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों के सहयोग से ही कराने की जरूरत है।

प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हुई

रायचूर, बीदर और कोप्पल विश्वविद्यालय को गुलबर्गा विश्वविद्यालय के लिए मंजूर पदों को आवंटित किए जा रहे हैं। कोप्पल विश्वविद्यालय के लिए बल्लारी के श्रीकृष्ण देवराय विश्वविद्यालय के कुछ पद स्थानांतरित किए जाएंगे परन्तु वह प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हुई है।

अनुमति नहीं दी

विश्वविद्यालय के सूत्रों के अनुसार फिलहाल नए विश्वविद्यालय के लिए प्रति 2 करोड़ रुपए मात्र प्रशासनिक व्यय के रूप में आवंटित किए गए हैं। नए पदों के सृजन और नए कोर्स शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई है।

छात्रों की पढ़ाई को बहुत नुकसान होगा
शिक्षण प्रेमियों ने बताया कि एक स्नातकोत्तर विभाग पूर्ण पैमाने में शुरू करने के लिए एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर और चार सहायक प्रोफेसर की आवश्यकता है। इसमें से लगभग 15 विभागों को 105 शिक्षण कर्मचारी और 200 गैर-शिक्षण कर्मचारियों की आवश्यकता है। यहां तक कि छह साल पहले शुरू हुए रायचूर विश्वविद्यालय को भी इतना स्टाफ मुहैया नहीं कराया गया है। वहीं नए विश्वविद्यालयों के लिए कोई नए पद सृजित नहीं किए गए हैं। इसके चलते छात्रों की पढ़ाई को बहुत नुकसान होगा।

राज्य सरकार की उदासीनता

हैदराबाद कर्नाटक संघर्ष समिति के नेता, रायचूर के रजाक उस्ताद का कहना है कि पिछली भाजपा सरकार ने अंतिम समय में सात नए विश्वविद्यालय बनाने का आदेश जारी करने से नए से सत्ता में आई नई कांग्रेस सरकार को इनके विकास में सहायता करने में कोई दिलचस्पी नहीं होने का आरोप लगाया जा रहा है। हाल ही में गुलबर्गा विश्वविद्यालय का दौरा करने वाले उच्च शिक्षा मंत्री एम.सी. सुधाकर ने कहा था कि पिछली सरकार के दौरान कई विश्वविद्यालय अस्तित्व में आए हैं। इनके लिए आवश्यक वित्तीय सहायता और बुनियादी ढांचा प्रदान करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इसके चलते नए विश्वविद्यालय आर्थिक संकट में हैं। उन्हें बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के बारे में कोई विशेष आश्वासन नहीं दिया था।

प्रस्ताव सांपेंगे

बल्लारी के श्रीकृष्ण देवराय विश्वविद्यालय से कोप्पल विश्वविद्यालय के लिए कुछ कर्मचारियों के आवंटन की प्रक्रिया प्रगति पर है। हम कर्मचारियों के आने के बाद रिक्तियों को भरने के लिए प्रस्ताव सांपेंगे।

प्रो. बीके रवि, कुलपति, कोप्पल विश्वविद्यालय

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