पाठकों को हो रही परेशानी
1,189 पाठक सदस्य, प्रतिदिन आते हैं 40 से 50 पाठक
हुब्बल्ली. कुंदगोल शहर के मध्य भाग में स्थित सार्वजनिक पुस्तकालय आवश्यक सुविधाओं से वंचित है। 1,189 पाठकों की सदस्यों वाली शहर की इस लाइब्रेरी में प्रतिदिन 40 से 50 पाठक आते हैं। पड़ोसी गांवों के लोग, स्कूलों-कॉलेजों के छात्र अपना होमवर्क करने और प्रतियोगी परीक्षाओं का अध्ययन करने के लिए इस पुस्तकालय में आते हैं परन्तु पुस्तकालय के आसपास का वातावरण स्वच्छ नहीं है। जगह-जगह कूड़ा-कचरा बढ़ गया है। पूरा वातावरण धूल से भरा हुआ है। साथ ही बारिश होने पर पानी जमा होने से मच्छरों का खतरा बढ़ जाता है।
हॉल में ही पाठकों के बैठने की स्थिति
पुस्तकालय की पहली मंजिल पर पाठकों के लिए एक बड़ा कमरा है, जो तालुक की ग्राम पंचायतों के पुस्तकालयों से संबंधित कुर्सियों से ही भरा हुआ है। इसके कारण पुस्तकालय के हॉल में ही पाठकों के बैठने की स्थिति उत्पन्न हुई है।
एक छात्र रवि का कहना है कि वह यहां हर दिन पढऩे आ रहता है। पढऩे के लिए जरूरी जगह नहीं है। पीने के साफ पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। केवल नल का पानी ही संग्रहित किया जा रहा है।
पाठक काव्या का कहना है कि महिलाओं के लिए अलग से कोई वाचनालय नहीं है। पुस्तकालय के अंदर उचित साफ-सफाई नहीं होने से ज्यादातर जगह धूल से भरी रहती है। लाइब्रेरी में कुल 44,325 किताबें हैं, जिनमें से 38,909 कन्नड़ में हैं और बाकी उर्दू, तेलुगु, हिंदी और अंग्रेजी में हैं। अधिकतर किताबें पुराने संस्करण की हैं।
मृगतृष्णा बनी साफ-सफाई
पाठकों ने मांग है कि पुस्तकालय के पूरे परिसर में साफ-सफाई मृगतृष्णा बनकर रह गई है। हर जगह झाडिय़ां उगी हैं। हवा चलने पर परिसर की धूल लाइब्रेरी में आती है। इससे पाठकों को परेशानी हो रही है। संबंधित अधिकारियों को पुस्तकालय में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। इसके अलावा, छात्रों की रुचि के अनुरूप और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित नई पुस्तकों की आपूर्ति के लिए कदम उठाने चाहिए।
प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकों का अभाव
प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों का कहना है कि यहां आने वाले कुछ पाठकों ने प्रतियोगी परीक्षाएं दी हैं। उनकी परीक्षाओं के लिए पूरक पुस्तकों का भी अभाव है। विभिन्न मैगजीन नहीं हैं। नए संस्करण की पुस्तकें यहां उपलब्ध नहीं हैं। पुराने संस्करण की किताबें पढऩा पड़ रहा है। प्रतियोगी परीक्षा के लिए किताबों की अलग से रैक नहीं है।
सुविधाएं उपलब्ध कराने को प्राथमिकता
मैं यहां प्रभारी के तौर पर कार्यरत हूं, पाठकों की समस्याओं को सूचीबद्ध कर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी जाएगी।
–एसएम मकानदार, लाइब्रेरियन
बैठकर पढ़ना मुश्किल
कूड़ा ठीक से झाड़ते नहीं हैं। किताबों का प्रबंधन साफ-सुथरा नहीं है। पूरी लाइब्रेरी धूल से भरी है। आराम से बैठकर पढऩा मुश्किल है।
-मल्लिकार्जुन एम., छात्र