पाठ्यपुस्तकों को विभाजित और मुद्रित करने का सरकार का निर्णय
हुब्बल्ली. राज्य सरकार ने स्कूल बैग के वजन को वैज्ञानिक तरीके से कम करने के लिए कदम उठाया है। अगले शैक्षणिक वर्ष से कक्षा 1 से 10 तक के विद्यार्थियों को एक ही पाठ्यपुस्तक को दो भागों में बांटकर मुद्रित कर देगी।

माना जा रहा है कि अर्धवार्षिक परीक्षा तक एक किताब, मध्यवार्षिक परीक्षा के बाद वार्षिक परीक्षा तक के विषयों की दूसरी किताब छापी जाएगी। पाठ्यपुस्तक को 2 भागों में बांटने से इसका वजन 50 फीसदी तक कम हो जाएगा।

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक प्रबंध निदेशक ने वर्ष 2024-25 से पाठ्यपुस्तकों को योगात्मक मूल्यांकन के रूप में एसए-1 और एसए-2 में विभाजित करने और पाठ्यपुस्तकों की छपाई कर आपूर्ति करने का आदेश जारी किया है। पाठ्यपुस्तकों के वजन को कम करने के लिए 6 अक्टूबर 2023 को स्कूल शिक्षा विभाग के आयुक्त के नेतृत्व में हुई बैठक में पक्ष और विपक्ष पर चर्चा की गई थी। विद्यालय परीक्षा एवं मूल्यांकन बोर्ड निदेशक की अध्यक्षता में समिति गठित कर 12 अक्टूबर को हुई बैठक में व्यक्त राय के आधार पर यह निर्णय लिया गया है।

ये बनाए नियम

नियम बनाए गए थे कि पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को घर का काम (होमवर्क) नहीं दिया जाना चाहिए, केवल दैनिक आवश्यकता वाली किताबें लाने के लिए योग्य समयसारणी बनानी चाहिए। नोट बुक 100 से 200 पन्नों से अधिक नहीं होनी चाहिए, स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध करनी चाहिए, छात्रों को किताबें रखने के लिए लॉकर की सुविधा उपलब्ध करनी चाहिए।

नियमानुसार हो वजन

सिर्फ स्कूली पाठ्यपुस्तकें ही नहीं, बल्कि अन्य सामग्रियां भी बैग का भार बढ़ाती हैं, इसलिए स्कूल स्तर पर प्रत्येक बच्चे के बैग का वजन जांच कर बैग का वजन नियमानुसार हो इसके लिए कार्रवाई करने, संकुल (क्लस्टर), ब्लॉक एवं जिला स्तर पर प्रभारी अधिकारी जांच कर शिक्षकों को उचित जानकारी देने, प्रत्येक स्कूल को प्रत्येक विषय, पाठ्यपुस्तक, नोट बुक और कक्षा कार्य ही स्कूल बैग में यह सुनिश्चित करने, बकाया सभी विषय समेत एक रफ नोट बुक हो इस पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।

10 करोड़ रुपए अतिरिक्त लागत
आदेश में उल्लेख किया गया है कि नए नियम को अपनाने से बच्चों के स्कूल बैग का वजन काफी कम हो जाएगा और बैग प्रबंधन आसान हो जाएगा। बच्चों पर बौद्धिक दबाव काफी कम हो जाएगा। इसके लिए एसए-1 और एसए-2 को अलग-अलग प्रिंट करना होगा। इससे किताबों का कवर दोगुना हो जाएगा। वर्तमान में 566 शीर्षक हैं, जो 984 शीर्षक होंगे। किताबों की छपाई की लागत अनुमानित 10 करोड़ रुपए बढ़ जाएगी। पहले ही वर्ष 2023-24 में बचे 27,37,551 पाठ्यपुस्तकों को बर्बाद किया जाएगा।

शिक्षा विभाग ने 2019 में ही दी थी रिपोर्ट
स्कूल बैग के वजन को कम करने के लिए, राज्य शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण विभाग (डीएसईआरटी) ने शिक्षा विशेषज्ञों, बाल रोग विशेषज्ञों, डॉक्टरों, कानूनी सलाहकार और अधिकारियों की समिति के जरिए अध्ययन कर 2019 में सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी। इसके मुताबिक, पहली से दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों के लिए 1.5-2 किग्रा, तीसरी से 5वीं कक्षा के लिए 2-3 किग्रा, छठी से 8वीं कक्षा के लिए 3-4 किग्रा, 9वीं और 10वीं कक्षा के लिए 4-5 किग्रा वजन की सिफारिश की थी। इस आदेश को सरकार ने लागू किया है परन्तु निजी स्कूलों की ओर से इसे व्यवहार में लागू नहीं करने की शिकायतें अभी भी आ रही हैं।

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