तीन वर्षों में 30,000 से अधिक किशोरियां गर्भवती
बेेंंगलूरु सबसे आगे
हुब्बल्ली. किशोरों में बढ़ती यौन गतिविधियों के बीच चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। कर्नाटक में तीन वर्षों में 30,000 से अधिक किशोरियां गर्भवती हो चुकी हैं। यह डेटा पिछले दशक में विवाहपूर्व यौन संबंधों के प्रति बदलते नजरिए को दर्शाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, अकेले कर्नाटक में 2021-22 और 2023-24 के बीच 33,621 किशोरियां गर्भवती हुईं हैं। इस मामले में बेंगलूरु सबसे आगे है।
कर्नाटक के शीर्ष पांच शहर
कर्नाटक में किशोर गर्भावस्था के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। तीन साल में 33,621 मामले प्रकाश में आए हैं। बेंगलूरु शहर इस मामले में सबसे आगे है। बेंगलूरु शहरी क्षेत्र में 4,324 किशोर लड़कियां गर्भवती हुईं, उसके बाद विजयनगर का स्थान है, वहां 2,468 मामले सामने आए हैं। तीसरे स्थान पर स्थित बल्लारी में 2,283 मामले, बेलगावी में 2,224 और मैसूर में 1,930 मामले सामने आए हैं।
किशोर गर्भावस्था क्या है?
किशोर गर्भावस्था वह गर्भावस्था है जो 15 से 19 वर्ष की आयु के बीच होती है। इसके मुख्य कारण बलात्कार, बाल विवाह और किशोरावस्था में रिश्तों के जाल में फंसना हैं। यह घटना सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में देखी गई है। चिकित्सा सुविधाओं की जानकारी के अभाव में ग्रामीण लोग समय पर उपचार नहीं करा पाते हैं। दूसरा मुख्य कारण बाल विवाह है। शहरों में बाल विवाह कम है। यहां चिकित्सा सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हैं। लड़कियों को इस बारे में अधिक जानकारी है। निजी अस्पतालों में चुपचाप गर्भपात करने के गंभीर आरोप हैं।
किशोरों में बढ़ते मामलों का कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति, इंटरनेट की आसान पहुंच, सोशल मीडिया का प्रभाव, पारिवारिक अस्थिरता और पर्याप्त यौन शिक्षा के अभाव के कारण किशोर लडक़े और लड़कियां यौन संबंधों में शामिल हो रहे हैं और फिर संबंध जारी रख रहे हैं।
घातक होता जा रहा इसका प्रभाव
विशेषज्ञों ने कहा कि किशोर अक्सर इंटरनेट पर जो कुछ देखते हैं, उससे प्रभावित होते हैं, जिसके कारण वे उत्साहपूर्ण तरीके से संबंध विकसित कर लेते हैं, और इसका प्रभाव घातक होता जा रहा है।
सोशल मीडिया दोषी है
युवाओं को अनुचित सामग्री से अवगत कराने के लिए सोशल मीडिया दोषी है। इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के कारण किशोर कम उम्र में ऐसी गलतियां कर रहे हैं।
–नागन्ना गौड़ा, अध्यक्ष, कर्नाटक राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग