
चुनाव प्रचार की वस्तु बनी
हुब्बल्ली. मैदानी इलाकों की पेयजल सिंचाई के लिए एत्तिनहोले परियोजना की समय सीमा बीत चुकी है और काम में देरी हो रही है। पिछले चार चुनावों में प्रचार की वस्तु रही है यह सिंचाई परियोजना वर्ष 2023 के विधानसभा चुनावों में भी प्रचार की मुख्य बस्तु बनने की संभावना बढ़ गई है।
मैदानी इलाकों के बेंगलूरु ग्रामीण, चिक्कबल्लापुर, कोलार जिलों की झीलों को भरकर भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए शुरू की गई एत्तिनहोले परियोजना के सभी कार्यों को सितंबर 2022 के अंततक पूरा करने की मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने विश्वेश्वरय्या जल निगम के अधिकारियों को समय सीमा दी थी परन्तु धीमी गति से चल रहा कार्य मात्र अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
पीने के पानी के लिए भूजल पर निर्भर मैदानी इलाकों के लोग पांच दशक से फ्लोराइड युक्त पानी पीने से कई तरह की शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। पेयजल योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए चार दशकों के संघर्ष के बावजूद किसी भी सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
राजनेताओं ने एत्तिनहोले परियोजना को भुला दिया
लोगों का कहना है कि के.सी. घाटी और एच.एन. घाटी परियोजना के तहत झीलों को छोड़ा जाने वाला पानी तीन चरणों में शुद्ध नहीं होने के कारण आगामी दिनों में हमें इसके परिणाम भुगतने होंगे। सीवेज का गंदा पानी झीलों में घुसने के कारण राजनेताओं ने एत्तिनहोले परियोजना को भुला दिया है।
करोड़ों रुपए खर्च कर रही है सरकार
इस परियोजना के तहत पानी मैदानी इलाकों में नहीं जा सकता है। सिंचाई विशेषज्ञों का कहना है कि बहने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है, इसके बाद भी सरकार मात्र इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। इसके चलते सिंचाई विशेषज्ञ डॉ. परमशिवय्या की ओर से दी गई रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी घाट से समुद्र में प्रवेश करने वाले पानी को गुरुत्वाकर्षण के जरिए मैदानी इलाकों की ओर मोडऩे पर बंजर भूमि समृद्ध हो जाएगी।
–भक्तरहल्ली भैरगौड़ा, आंदोलनकारी
एत्तिनहोले के नाम पर पैसों की बर्बादी
भाजपा सरकार की ओर से वर्ष 2012 में तैयार डीपीआर को 2014 में सरकार से प्रशासनिक स्वीकृति मिली परन्तु योजना को स्वीकृत हुए आठ साल बीत चुके हैं, अभी तक योजना के साकार होने के कोई संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं। भले ही झीलों में पानी बहने के कोई संकेत नहीं हैं, परन्तु एत्तिनहोले परियोजना के नाम पर लोगों के टैक्स के पैसे बर्बाद किए जा रहे हैं।
–आंजनेयरेड्डी, आंदोलनकारी, शाश्वत सिंचाई
परियोजना कार्यान्वयन में बाधा बना भूमि अधिग्रहण
हमने सिंचाई योजना को राष्ट्रीय योजना बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मांग की है। एत्तिनहोले परियोजना के क्रियान्वयन में भूमि अधिग्रहण बाधा बना हुआ है। साथ ही पिछली योजना के तहत काम करने वाले ठेकेदार को बिल का भुगतान करना है। बिल का भुगतान होने पर ठेकेदार काम शुरू करेंगे। मुख्यमंत्री को इस पर ध्यान देना चाहिए।
–बी.एन. बच्चेगौड़ा, सांसद