प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय 29 मई से फिर से खुलेंगे
कई जगहों पर कक्षाओं में टपकता पानी
मरम्मत के लिए उपलब्ध नहीं अनुदान
हावेरी. जिले के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों (हाईस्कूल) की गर्मी की छुट्टियां खत्म होने वाली हैं और 29 मई गुरुवार से कक्षाएं फिर से शुरू होंगी परन्तु बारिश और अन्य कारणों से जिले के 139 स्कूलों के 231 कमरे जर्जर हो गए हैं, जिससे अभिभावकों में स्कूल अवधि के दौरान बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।
जिले के 137 प्राथमिक विद्यालयों के 229 कमरे जर्जर हो गए हैं। 2 माध्यमिक विद्यालयों के 2 कमरे जर्जर अवस्था में हैं। जिले के हानगल तालुक में सबसे ज्यादा कमरे जर्जर हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार हर साल जर्जर स्कूल कमरों की मरम्मत और उन्हें हटाने के लिए थोड़ी मात्रा में अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है परन्तु अनुदान की राशि भी साल दर साल घटती जा रही है। इससे कमरों की मरम्मत और नए कमरों के निर्माण में बाधा आ रही है।
राज्य सरकार ने गर्मी की छुट्टियों के बाद सरकारी स्कूलों में आने वाले बच्चों का स्वागत करने के निर्देश पहले ही दे दिए हैं परन्तु 139 सरकारी स्कूलों में 231 कमरे जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं और ऐसे स्कूलों में बच्चों के लिए बहुत ज्यादा जोखिम होने से अभिभावकों को चिंता है। अभिभावक कमरों की मरम्मत और पुनर्निर्माण की भी मांग कर रहे हैं।
जीर्ण-शीर्ण कमरों के टाइलें उड़ गए हैं। ईंटें गिर गई हैं। दीवारें आंशिक रूप से ढह गई हैं, जो धीरे-धीरे ढहने की चेतावनी दे रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि बरसात का मौसम शुरू होते ही कई कमरों में पानी टपकता है। कुछ कमरों में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है और ऐसे कमरों की मरम्मत के लिए भी अनुदान की कमी है।
पुराने छात्र संघों पर निर्भर
हावेरी जिले में अधिकांश गांव शामिल हैं, ज्यादातर लोग शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों पर निर्भर हैं परन्तु हाल के दिनों में सरकारी स्कूलों का विकास एक मृगतृष्णा बनकर रह गया है। जीर्ण-शीर्ण कमरों की मरम्मत के लिए पैसे नहीं हैं कहने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारी, स्कूल के अन्य विकास कार्यों के लिए पुराने छात्र संघों पर निर्भर हैं। कुछ पुराने छात्र स्कूलों के लिए कमरे बना रहे हैं परन्तु अधिकांश स्कूलों के कमरे अभी भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, और उनकी मरम्मत नहीं की जा रही है।
85 कमरे पूरी तरह से जीर्ण-शीर्ण
हानगल कस्बा और तालुक के सरकारी प्राथमिक स्कूलों की स्थिति दयनीय है। 150 स्कूल कमरे मरम्मत का इंतजार कर रहे हैं। 85 कमरे पूरी तरह से जीर्ण-शीर्ण हैं और उन्हें तोड़ा जाना है।
28 स्कूलों के 37 कमरे जीर्ण-शीर्ण
हिरेकेरूर कस्बे और तालुक में 204 प्राथमिक विद्यालय और 19 हाई स्कूल हैं। इनमें से 28 स्कूलों के 37 कमरे जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। तालुक के कोडा के पास उजनीपुर एलपीएस स्कूल का कमरा ढह गया है और दीवार भी गिर गई है। निडनेगिलु गांव के एचपीएस का कमरा भी जीर्ण-शीर्ण हुआ है।
59 कमरों को गिराने की जरूरत
अधिकारियों ने ब्याडग़ी कस्बे और तालुक में 159 कमरों की मरम्मत के लिए प्रस्ताव सौंपा है। इनमें से 59 कमरे जो उपयोग के लायक नहीं हैं, उन्हें गिराने की जरूरत है।
बुनियादी ढांचे की कमी
राणेबेन्नूर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूल बुनियादी ढांचे की कमी से जूझ रहे हैं। शौचालय, स्वच्छ पेयजल, बैठने की व्यवस्था और शैक्षणिक उपकरणों की कमी के कारण शिक्षा का स्तर गिर रहा है। स्कूल के कमरे जर्जर हो चुके हैं, जिससे बच्चों की जान की सुरक्षा का सवाल खड़ा हो रहा है। स्कूल भवन की दीवारों में दरारे पड़ी हुई हैं। बंदरों के आतंक से छत की टाइलें टूट गई हैं और बारिश होने पर पानी टपकता है। वाईटी होन्नत्ती (येल्लापुर) सरकारी स्कूल की छत पर लगी सीमेंट कंक्रीट उखड़ रही है।
सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी
अभिभावकों ने कहा कि निजी स्कूलों का क्रेज बढ़ रहा है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी है। सरकार को इस कमी को दूर करने के लिए कदम उठाने चाहिए। स्कूलों के विकास के लिए उचित अनुदान आवंटित करना चाहिए।
209 कमरों का निर्माण
स्कूलों में कमरे जीर्ण-शीर्ण अवस्था में होने के बारे में पता है। जिले के 139 स्कूलों में 231 कमरे जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं और हर साल इनकी मरम्मत और नए भवनों के निर्माण के लिए प्रस्ताव सौंपे जा रहे हैं। कमरों के निर्माण पर अधिक जोर दिया गया है। अब तक विवेक योजना के तहत 209 नए कमरों का निर्माण किया गया है। वर्ष 2024-25 में 13 नए कमरे बनाने का लक्ष्य है। शिक्षकों को छात्रों को जीर्ण-शीर्ण अवस्था वाले कमरों के पास जाने से रोकने का निर्देश दिया गया है।
–सुरेश हुग्गी, उप निदेशक, स्कूल शिक्षा विभाग
44 लाख रुपए की लागत से मरम्मत
तालुक में 222 प्राथमिक और 29 माध्यमिक विद्यालयों में 1,269 स्कूल कमरे हैं। इनमें से 1,032 कमरे अच्छी स्थिति में हैं। राज्य क्षेत्र योजना के तहत 44 लाख रुपए की लागत से मरम्मत कार्य किए जाएंगे। चार स्कूलों के लिए एक नया कमरा बनाया जाएगा। समग्र शिक्षा योजना के तहत तीन स्कूलों को 10-10 लाख रुपए और जिला पंचायत अनुदान के तहत आठ स्कूलों की मरम्मत के लिए 16 लाख रुपए अनुदान मिला है।
–वी.वी. सालीमठ, क्षेत्र शिक्षा अधिकारी, हानगल
13.9 लाख रुपए प्रति भवन की लागत से नए भवन बनाए हैं
वर्ष 2024-25 में बाढ़ के कारण 104 प्राथमिक विद्यालयों के कमरे जीर्ण-शीर्ण हो गए थे। इनकी मरम्मत के लिए प्रस्ताव सौंपा गया था। मंजूरी मिल गई है परन्तु पैसा जारी नहीं हुआ है। मरम्मत का काम नहीं हो पाया है। वर्ष 2024-25 में 22 हाई स्कूलों के लिए 13.9 लाख रुपए प्रति भवन की लागत से नए भवन बनाए गए हैं। 2 लाख रुपए प्रति कमरे की लागत से 22 स्कूल कमरों की मरम्मत कर उनमें रिसाव रोकने के लिए शीट लगाई गई हैं।
–एसजी कोटी, क्षेत्र शिक्षा अधिकारी, ब्याडग़ी
45 नए भवनों की जरूरत
तालुक में 210 सरकारी स्कूल हैं। 12 सरकारी स्कूलों के 31 कमरों की मरम्मत चल रही है। 45 नए भवनों की जरूरत है।
–शामसुंदर अडिग, क्षेत्र शिक्षा अधिकारी, राणेबेन्नूर
आंकड़े
-जिले में स्थित प्राथमिक स्कूल – 1,128
-जिले में स्थित माध्यमिक स्कूल – 155
जीर्ण-शीर्ण स्कूल भवनों की जानकारी
तालुक — जीर्ण-शीर्ण स्कूल – जीर्ण-शीर्ण कमरे
ब्याडगी — 06 – 11
हानगल — 37 – 63
हावेरी — 19 – 25
हिरेकेरूर — 28 – 37
राणेबेन्नूर — 12 – 27
सवनूर — 24 – 51
शिग्गावी — 13 – 17